कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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रूह को तड़पा रही है उन की याद
आँखों से दूर सुब्ह के तारे चले गए
ये दुनिया है यहाँ दिल को लगाना किस को आता है
पी शौक़ से वाइज़ अरे क्या बात है डर की
ये तमाम ग़ुंचा-ओ-गुल मैं हँसूँ तो मुस्कुराएँ
जाम गर्दिश में है दर-बंद हैं मय-ख़ानों के
इक इक क़दम फ़रेब-ए-तमन्ना से बच के चल
उजाले गर्मी-ए-रफ़्तार का ही साथ देते हैं
नुमाइश-ए-अलीगढ़
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
ख़ुश हूँ कि मिरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया