फ़लक Poetry (page 11)

नफ़रतें न अदावतें बाक़ी हैं

इब्न-ए-मुफ़्ती

ढली जो शाम नज़र से उतर गया सूरज

हुसैन ताज रिज़वी

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

हीरा लाल फ़लक देहलवी

पोशाक-ए-सियह में रुख़-ए-जानाँ नज़र आया

हातिम अली मेहर

कोई ले कर ख़बर नहीं आता

हातिम अली मेहर

गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था

हातिम अली मेहर

दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा

हसरत मोहानी

वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश

हसरत अज़ीमाबादी

रखा पा जहाँ में नगारा ज़मीं पर

हसरत अज़ीमाबादी

जिस का मयस्सर न था भर के नज़र देखना

हसरत अज़ीमाबादी

हम आप को तो इश्क़ में बर्बाद करेंगे

हसरत अज़ीमाबादी

यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है

हसीब सोज़

कलियों का तबस्सुम हो, कि तुम हो कि सबा हो

हरी चंद अख़्तर

सिमटती शाम अगर दर्द को जगाएगी

हनीफ़ तरीन

अपनी नज़रों को भी दीवार समझता होगा

हनीफ़ अख़गर

हम कहाँ कुंज-नशीनों में रहे

हामिदी काश्मीरी

सूरज सा भी तारा हो ज़मीं सी भी ज़मीं हो

हामिद सलीम

अपने हिसार-ए-जिस्म से बाहर भी देखते

हामिद जीलानी

हवा की पुश्त पर

हमीद अलमास

ऐ फ़लक कुछ तो असर हुस्न-ए-अमल में होता

हैदर अली आतिश

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

सब्ज़ा बाला-ए-ज़क़न दुश्मन है ख़ल्क़ुल्लाह का

हैदर अली आतिश

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

हैदर अली आतिश

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

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