शोक Poetry (page 69)

उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में

इक़बाल सुहैल

असीरों में भी हो जाएँ जो कुछ आशुफ़्ता-सर पैदा

इक़बाल सुहैल

अंजाम-ए-वफ़ा भी देख लिया अब किस लिए सर ख़म होता है

इक़बाल सुहैल

कौन जाने कि इक तबस्सुम से

इक़बाल सफ़ी पूरी

वो निगाहों को जब बदलते हैं

इक़बाल सफ़ी पूरी

उस ने दिल से निकाल रक्खा है

इक़बाल पयाम

अस्बाब यही है यही सामान हमारा

इक़बाल पयाम

जब शाख़-ए-तमन्ना पे कोई फूल खिला है

इक़बाल मिनहास

जब वो लब-ए-नाज़ुक से कुछ इरशाद करेंगे

इक़बाल मतीन

राह दोनों की वही है सामना हो जाएगा

इक़बाल माहिर

हस्ब-ए-मामूल आए हैं शाख़ों में फूल अब के बरस

इक़बाल माहिर

बगूलों की सफ़ें किरनों के लश्कर सामने आए

इक़बाल माहिर

अहल-ए-फ़न अहल-ए-अदब अहल-ए-क़लम कहते रहे

इक़बाल माहिर

रोता है कोई किसी के ग़म में

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

चश्म-ए-ख़ाना मक़ाम-ए-दर्द का है

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

आँखों के चराग़ वारते हैं

इक़बाल ख़ुसरो क़ादरी

सुपुर्द-ए-ग़म-ज़दगान-ए-सफ़-ए-वफ़ा हुआ मैं

इक़बाल कौसर

काहिश-ए-ग़म ने जिगर ख़ून किया अंदर से

इक़बाल कौसर

अगरचे मुझ को बे-तौक़-ओ-रसन-बस्ता नहीं छोड़ा

इक़बाल कौसर

मौज-ए-बला में रोज़ कोई डूबता रहे

इक़बाल कैफ़ी

वो आ रहे हैं वो जा रहे हैं मिरे तसव्वुर पे छा रहे हैं

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

नज़र जिन की उलझ जाती है उन की ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ से

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

मिरी नज़र से जो नज़रें बचाए बैठे हैं

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

इश्क़ इतना कमाल रखता है

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

रौशनी मुझ से गुरेज़ाँ है तो शिकवा भी नहीं

इक़बाल अज़ीम

ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए और मोहतात पास-ए-वफ़ा चाहिए

इक़बाल अज़ीम

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते

इक़बाल अज़ीम

बस हो चुका हुज़ूर ये पर्दे हटाइए

इक़बाल अज़ीम

अल्लाह रे यादों की ये अंजुमन-आराई

इक़बाल अज़ीम

ये ख़ौफ़ कम है मुझे और चमको जब तक हो

इक़बाल अशहर कुरेशी

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