घड़ी Poetry (page 11)

रखता नहीं है दश्त सरोकार आब से

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

समीता-पाटिल

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ज़ेहन में दाएरे से बनाता रहा दूर ही दूर से मुस्कुराता रहा

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बोसा देने की चीज़ है आख़िर

ग़ुलाम मौला क़लक़

पी भी ऐ माया-ए-शबाब शराब

ग़ुलाम मौला क़लक़

किस क़दर दिलरुबा-नुमा है दिल

ग़ुलाम मौला क़लक़

दोस्ती उस की दुश्मनी ही सही

ग़ुलाम मौला क़लक़

किसी को ज़हर दूँगा और किसी को जाम दूँगा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

हुदूद-ए-क़र्या-ए-वहम-ओ-गुमाँ में कोई नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मुंतज़िर

ग़ौसिया ख़ान सबीन

मुख़्तसर सी बात को भी मसअला कहते रहे

ग़ौसिया ख़ान सबीन

इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस

ग़व्वास क़ुरैशी

हवा जब किसी की कहानी कहे है

गौतम राजऋषि

दुखी दिलों में, दुखी साथियों में रहते थे

गौहर होशियारपुरी

आइए ऐ जान-ए-आलम आइए

गौहर बेगम गौहर

हो गए यार पराए अपने

फ़ीरोज़ा ख़ुसरो

अब नहीं कोई ठिकाना अपना

फ़ीरोज़ा ख़ुसरो

या तो तारीख़ की अज़्मत से लिपट कर सो जा

फ़े सीन एजाज़

रुका जवाब की ख़ातिर न कुछ सवाल किया

फ़ातिमा हसन

होश ओ ख़िरद गँवा के तिरे इंतिज़ार में

फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी

सुना है हर घड़ी तू मुस्कुराता रहता है

फ़ारूक़ शफ़क़

कोई भी शख़्स न हंगामा-ए-मकाँ में मिला

फ़ारूक़ शफ़क़

मातम-ए-नीम-ए-शब

फ़ारूक़ नाज़की

हमारे कमरे में पत्तियों की महक ने

फरीहा नक़वी

दो घड़ी बैठे थे ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं की छाँव में

फ़ारिग़ बुख़ारी

अब ज़िंदगी रो रो के गुज़ारेंगे नहीं हम

फ़रहत नदीम हुमायूँ

ख़ुद-आगही

फ़रहत एहसास

इस तरह आता हूँ बाज़ारों के बीच

फ़रहत एहसास

मैं ख़ुश हुआ कि बूद में रक्खा गया मुझे

फ़क़ीह हैदर

वादी-ए-शौक़ में वारफ़्ता-ए-रफ़्तार हैं हम

फ़ानी बदायुनी

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