घड़ी Poetry

हिज्र

अज़ीमुद्दीन अहमद

कहानी बस इतनी सी थी

मर्यम तस्लीम कियानी

कैसे समझेगा सदफ़ का वो गुहर से रिश्ता

अख़्तर हाशमी

मोहब्बत हादसा है

फ़ाख़िरा बतूल

ये सन्नाटा है मैं हूँ चाँदनी में

अमित सतपाल तनवर

जिस के दिल में कोई अरमान नहीं होता है

अख़्तर आज़ाद

चाँद तारे जिसे हर शब देखें

अनवर अंजुम

कई लम्हे

फ़ैसल हाश्मी

कहानी ओढ़ ली मैं ने

फ़ाख़िरा बतूल

ख़रगोश का ग़म

बलराज कोमल

तख़्लीक़

फ़ैसल हाश्मी

ज़ुल्म तो ये है कि शाकी मिरे किरदार का है

ज़ुहूर नज़र

इश्क़ में मारके बला के रहे

ज़ुहूर नज़र

हर घड़ी क़यामत थी ये न पूछ कब गुज़री

ज़ुहूर नज़र

मा-बा'द जदीद

ज़ुबैर रिज़वी

हवा की अंधी पनाहों में मत उछाल मुझे

ज़ुबैर रिज़वी

फिर घड़ी आ गई अज़िय्यत की

ज़ुबैर अमरोहवी

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

ज़िया जालंधरी

शाम का पहला तारा (2)

ज़ेहरा निगाह

हमारे ख़्वाब कहीं नहीं हैं

ज़ीशान साहिल

जुड़ जाएँ तसावीर तो बन जाए कहानी

ज़ीशान साजिद

पेट की आग में बरबाद जवानी कर के

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

साग़र-ओ-जाम को छलकाओ कि कुछ रात कटे

ज़की काकोरवी

उस का ख़याल दिल में घड़ी दो घड़ी रहे

ज़करिय़ा शाज़

हर घड़ी चलती है तलवार तिरे कूचे में

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

इश्क़ की मंज़िल में अब तक रस्म मर जाने की है

ज़ेब बरैलवी

चीज़ जो भूल कर गई हुई थी

ज़हरा क़रार

चीज़ जो भूल कर गई हुई थी

ज़हरा क़रार

आप ने हाथ रक्खा मिरे हात पर

ज़ाहिदुल हक़

तख़्ईल का दर खोले हुए शाम खड़ी है

ज़ाहिदा ज़ैदी

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