घटा Poetry (page 8)

इंतिसाब

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फिर लौटा है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब सफ़र से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

चले थे घर से तो हम दर्द की दवा के लिए

एजाज़ अहमद एजाज़

तौक़ीर अँधेरों की बढ़ा दी गई शायद

एहतराम इस्लाम

तौक़ीर अँधेरों की बढ़ा दी गई शायद

एहतराम इस्लाम

पूछता कौन वफ़ा से उस की

दिनेश नायडू

ज़िंदगी ख़राब हो गई

दीपक शर्मा दीप

अपनों के सितम याद न ग़ैरों की जफ़ा याद

द्वारका दास शोला

लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से

दाग़ देहलवी

हमारा वतन दिल से प्यारा वतन

चकबस्त ब्रिज नारायण

सवाब है या किसी जनम का हिसाब कोई चुका रहा हूँ

भारत भूषण पन्त

इक बे-वफ़ा को प्यार किया हाए क्या किया

बहज़ाद लखनवी

नैरंगियाँ फ़लक की जभी हैं कि हों बहम

बयान मेरठी

कौन कहता है नसीम-ए-सहरी आती है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा

बशीर बद्र

वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है

बशीर बद्र

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा

बशीर बद्र

जब छाई घटा लहराई धनक इक हुस्न-ए-मुकम्मल याद आया

बशर नवाज़

मेरा जनम दिन

बाक़र मेहदी

फिर किसी शख़्स की याद आई है

बीएस जैन जौहर

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ

अज़ीज़ हामिद मदनी

रूठ जाएगा तो मुझ से और क्या ले जाएगा

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

जल्वे हवा के दोश ये कोई घटा के देख

अज़हर लखनवी

मिरी ज़िंदगी किसी मोड़ पर कभी आँसुओं से वफ़ा न दे

अतीक़ अंज़र

शरारे

असरार-उल-हक़ मजाज़

पर्दा और इस्मत

असरार-उल-हक़ मजाज़

कट गईं सारी पतंगें डोर से

असलम हबीब

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