ग़ज़ल Poetry (page 10)

आप से क्या दोस्ती होने लगी

साहिर होशियारपुरी

मुझ को हर लम्हा नई एक कहानी देगा

साहिबा शहरयार

मुझ पे ऐसा कोई शे'र नाज़िल न हो

सहबा अख़्तर

इस बे तुलूअ' शब में क्या तालेअ'-आज़माई

सहबा अख़्तर

है बाइस-ए-सुकून सुख़न-वर तुम्हारा नाम

सहर महमूद

उल्टी गंगा

साग़र ख़य्यामी

मग़्ज़-ए-शाएर

साग़र ख़य्यामी

इक्कीसवीं सदी का आदमी

साग़र ख़य्यामी

गधों का मुशाएरे

साग़र ख़य्यामी

दिल्ली की लड़कियाँ

साग़र ख़य्यामी

उज़्र हवा ने क्या रक्खा है

सईद क़ैस

नज़र में रंग समाए हुए उसी के हैं

सईद क़ैस

जब भी तिरी क़ुर्बत के कुछ इम्काँ नज़र आए

सादिक़ नसीम

चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं

सदा अम्बालवी

जब भी पढ़ा है शाम का चेहरा वरक़ वरक़

साबिर ज़ाहिद

जहाँ में जिस की शोहरत कू-ब-कू है

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

नया शगूफ़ा इशारा-ए-यार पर खिला है

सबा नक़वी

हम कि चेहरे पे न लाए कभी वीरानी को

सादुल्लाह शाह

ये मत भुला कि यहाँ जिस क़दर उजाले हैं

सअादत बाँदवी

बनते ही शहर का ये देखिए वीराँ होना

एस ए मेहदी

क्यूँ-कर न लाए रंग गुलिस्ताँ नए नए

रिन्द लखनवी

छुप के घर ग़ैर के जाया न करो

रिन्द लखनवी

दर्द ग़ज़ल में ढलने से कतराता है

रियाज़ मजीद

सेल्फ़ी

रहमान फ़ारिस

यही दुआ है यही है सलाम इश्क़ ब-ख़ैर

रहमान फ़ारिस

सर-ब-सर यार की मर्ज़ी पे फ़िदा हो जाना

रहमान फ़ारिस

सदाएँ देते हुए और ख़ाक उड़ाते हुए

रहमान फ़ारिस

सदाएँ देते हुए और ख़ाक उड़ाते हुए

रहमान फ़ारिस

वो मुंतज़िर हैं हमारे तो हम किसी के हैं

रेहाना रूही

कुंज-ए-इज़्ज़त से उठो सुब्ह-ए-बहाराँ देखो

रज़ी तिर्मिज़ी

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