ग़ज़ल Poetry (page 24)

मिरी अना मिरे दुश्मन को ताज़ियाना है

असअ'द बदायुनी

लहू के साथ तबीअत में सनसनाती फिरे

अरशद मलिक

दिल ख़स्ता हो तो लुत्फ़ उठे कुछ अपनी ग़ज़ल का

अरशद अली ख़ान क़लक़

तासीर जज़्ब मस्तों की हर हर ग़ज़ल में है

अरशद अली ख़ान क़लक़

शरफ़ इंसान को कब ज़िल्ल-ए-हुमा देता है

अरशद अली ख़ान क़लक़

फ़सील-ए-सब्र में रौज़न बनाना चाहती है

अरशद अब्दुल हमीद

बाग़बाँ की बे-रुख़ी से नीले-पीले हो गए

आरिफ़ अंसारी

जो उभरे वक़्त के साँचे में ढल के

आरिफ़ अब्दुल मतीन

आज की तारीख़ में इंसाँ मुकम्मल कौन है

आराधना प्रसाद

तलाश जिस को मैं करता फिरा ख़राबों में

अनवर सदीद

सियाहियों का नगर रौशनी से अट जाए

अनवर सदीद

तज्दीद-ए-रस्म-ओ-राह-ए-मुलाक़ात कीजिए

अनवर साबरी

क्या सुनाएँ तुम्हें कोई ताज़ा ग़ज़ल

अनवर नदीम

ये ग़ज़ल की अंजुमन है ज़रा एहतिमाम कर लो

अनवर मोअज़्ज़म

क्या ख़बर थी कि तिरे साथ ये दुनिया होगी

अंजुम सिद्दीक़ी

तुम को भुला रही थी कि तुम याद आ गए

अंजुम रहबर

कितना ढूँडा उसे जब एक ग़ज़ल और कही

अंजुम ख़लीक़

दिलों से ख़ौफ़ के आसेब-ओ-जिन निकालता है

अंजुम बाराबंकवी

जब कोई लेता है मेरे सामने नाम-ए-ग़ज़ल

अमजद नजमी

मीरास-ए-बे-बहा भी बचाई न जा सकी

अमीर हम्ज़ा साक़िब

वफ़ा की शान वो लेकिन कभी मिरे न हुए

अमीता परसुराम 'मीता'

तिरा ख़याल था लफ़्ज़ों में ढल गया कैसे

अमीर अहमद ख़ुसरव

'अमीक़' छेड़ ग़ज़ल ग़म की इंतिहा कब है

अमीक़ हनफ़ी

यूँ दिल है सर-ब-सज्दा किसी के हुज़ूर में

अमीन हज़ीं

जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता

अम्बर खरबंदा

रवाँ दवाँ नहीं याँ अश्क चश्म-ए-तर की तरह

अमानत लखनवी

गिर पड़े दाँत हुए मू-ए-सर ऐ यार सफ़ेद

अमानत लखनवी

मर्सिया-ए-देहली-ए-मरहूम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

वाँ अगर जाएँ तो ले कर जाएँ क्या

अल्ताफ़ हुसैन हाली

जीते जी मौत के तुम मुँह में न जाना हरगिज़

अल्ताफ़ हुसैन हाली

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