गिनती Poetry (page 1)

मेरे आसमान के चाँद को ख़बर दो

मर्यम तस्लीम कियानी

जवाँ होता बुढ़ापा

ममता तिवारी

कातता हूँ रात-भर अपने लहू की धार को

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

फ़ाइरिंग

ज़ीशान साहिल

चिलचिलाती धूप ने ग़ुस्सा उतारा हर जगह

ज़फ़र सहबाई

वो अपनी उम्र को पहले पिरो लेता है डोरी में

वज़ीर आग़ा

न आँखें ही झपकता है न कोई बात करता है

वज़ीर आग़ा

मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता

वसीम बरेलवी

मैं रख देती हूँ तुम्हारा नाम फ़ोटोग्राफ़र

तनवीर अंजुम

बे-घरी

ताबिश कमाल

मारे ग़ुस्से के ग़ज़ब की ताब रुख़्सारों में है

शौक़ क़िदवाई

दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

वक़्फ़ा

शाहिद माहुली

अगर मरते हुए लब पर न तेरा नाम आएगा

शाद अज़ीमाबादी

मैं उठा रक्खूँ न कुछ इन के लिए

रियाज़ ख़ैराबादी

गुल मुरक़्क़ा' हैं तिरे चाक गरेबानों के

रियाज़ ख़ैराबादी

अपने होने का कोई साज़ नहीं देती है

राशिद तराज़

आँख इम्कान से भरी हुई थी

राशिदा माहीन मलिक

वो मुझ से बे-ख़बर हैं उन की आदत ही कुछ ऐसी है

हसन बरेलवी

इक जादूगर है आँखों की बस्ती में

हमीदा शाहीन

बे-गिनती बोसे लेंगे रुख़-ए-दिल-पसंद के

हैदर अली आतिश

जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब

हफ़ीज़ जौनपुरी

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं

फ़िराक़ गोरखपुरी

क्यूँ दिया था? बता! मेरी वीरानियों में सहारा मुझे

फरीहा नक़वी

मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो

दिलावर फ़िगार

तहज़ीब की आयत

दाऊद ग़ाज़ी

होश आते ही हसीनों को क़यामत आई

दाग़ देहलवी

गिनती

अज़रा अब्बास

हुब्ब-ए-वतन

अल्ताफ़ हुसैन हाली

अब भी रौशन हैं

अली सरदार जाफ़री

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