गिरफ्तार Poetry (page 4)

चलती रही उस कूचे में तलवार हमेशा

रिन्द लखनवी

दौड़े वो मेरे क़त्ल को तलवार खींच कर

रौनक़ टोंकवी

घर से निकल के आए हैं बाज़ार के लिए

रसूल साक़ी

शैख़-ए-हरम उस बुत का परस्तार हुआ है

रासिख़ अज़ीमाबादी

ग़फ़लत में कटी उम्र न हुश्यार हुए हम

रासिख़ अज़ीमाबादी

दिल ज़ुल्फ़-ए-बुताँ में है गिरफ़्तार हमारा

रासिख़ अज़ीमाबादी

दम-भर की ख़ुशी बाइस-ए-आज़ार भी होगी

रशीद क़ैसरानी

दम भर की ख़ुशी बाइस-ए-आज़ार भी होगी

रशीद क़ैसरानी

तमाम शहर गिरफ़्तार है अज़िय्यत में

रम्ज़ी असीम

हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे

रम्ज़ी असीम

वो दोस्त था तो उसी को अदू भी होना था

इक़बाल साजिद

मेरी फ़रियाद पे रोया है चमन मेरे बा'द

इक़बाल आबिदी

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

इंशा अल्लाह ख़ान

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ

इमाम बख़्श नासिख़

घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

इफ़्तिख़ार मुग़ल

साएबान

इफ़्तेख़ार जालिब

नाला-ए-गर्म के और दम सर्द भरे क्या जिएँ हम तो मरे

हातिम अली मेहर

यूँ तो आशिक़ तिरा ज़माना हुआ

हसरत मोहानी

यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा

हसरत अज़ीमाबादी

चाहे सो हमें कर तू गुनहगार हैं तेरे

हसरत अज़ीमाबादी

पहले नज़्र लब-ओ-रुख़्सार करेगी दुनिया

हसन निज़ामी

जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए

हसन नईम

जलती हुई रुतों के ख़रीदार कौन हैं

हसन अख्तर जलील

हुस्न-ए-मुख़्तार सही इश्क़ भी मजबूर नहीं

हसन आबिद

गुल हुए चाक-गरेबाँ सर-ए-गुलज़ार ऐ दिल

हसन आबिद

दिल-ए-नादाँ पे शिकायत का गुमाँ क्या होगा

हनीफ़ फ़ौक़

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