तमाम शहर गिरफ़्तार है अज़िय्यत में
किसे कहूँ मिरे अहबाब की ख़बर रक्खे
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फूल खिलते हैं तालाब में तारा होता
या उन्हें आती नहीं बज़्म-ए-सुख़न-आराई
मिरी जगह पे कोई और हो तो चीख़ उट्ठे
थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम
दश्त की प्यास किसी तौर बुझाई जाती
तुम्हारे साथ कई रंज बाँटने हैं हमें
सिर्फ़ बच्चे ही नहीं शोर मचाने आते
साथ रोने न सही गीत सुनाने आते
हमारा ख़्वाब अगर ख़्वाब की ख़बर रक्खे
यानी कोई कमी नहीं मुझ में