गरीबां Poetry (page 14)

ज़ौक़-ए-सरमस्ती को महव-ए-रू-ए-जानाँ कर दिया

असग़र गोंडवी

ये इश्क़ ने देखा है ये अक़्ल से पिन्हाँ है

असग़र गोंडवी

मस्ती में फ़रोग़-ए-रुख़-ए-जानाँ नहीं देखा

असग़र गोंडवी

है दिल-ए-नाकाम-ए-आशिक़ में तुम्हारी याद भी

असग़र गोंडवी

मुझ को हर फूल सुनाता था फ़साना तेरा

असर लखनवी

अज़ल के दिन जिन्हें देखा था बज़्म-ए-हुस्न-ए-पिन्हाँ में

आरज़ू सहारनपुरी

वहशत हम अपनी ब'अद-ए-फ़ना छोड़ जाएँ

आरज़ू लखनवी

दम-ब-ख़ुद बैठ के ख़ुद जैसे ज़बाँ गीली है

आरज़ू लखनवी

यक़ीन-ए-सुब्ह-ए-चमन है कितना शुऊर-ए-अब्र-ए-बहार क्या है

अर्शी भोपाली

मता-ए-शौक़ तो है दर्द-ए-रोज़गार तो है

अर्शी भोपाली

दस्त-ए-जुनूँ ने फाड़ के फेंका इधर-उधर

अरशद अली ख़ान क़लक़

तासीर जज़्ब मस्तों की हर हर ग़ज़ल में है

अरशद अली ख़ान क़लक़

जुनूँ बरसाए पत्थर आसमाँ ने मज़रा-ए-जाँ पर

अरशद अली ख़ान क़लक़

बुत-परस्ती ने किया आशिक़-ए-यज़्दाँ मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

'आरिफ़' अज़ल से तेरा अमल मोमिनाना था

आरिफ़ अब्दुल मतीन

ज़ीस्त करना दर-ए-इदराक से बाहर है अभी

अक़ील अब्बास जाफ़री

आया न आब-ए-रफ़्ता कभी जूएबार में

अनवापुल हसन अनवार

इश्क़ पर दाना नहीं मोहताज-ए-तहरीक-ए-जमाल

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

जब फ़स्ल-ए-बहाराँ आती है शादाब गुलिस्ताँ होते हैं

अनवर सहारनपुरी

तलख़ाबा-ए-ग़म ख़ंदा-जबीं हो के पिए जा

अनवर साबरी

दरमियाँ गर न तिरा वादा-ए-फ़र्दा होता

अनवर मसूद

ये क़िस्सा-ए-ग़म-ए-दिल है तो बाँकपन से चले

अनवर मोअज़्ज़म

ग़म सहें या ख़ुशी को प्यार करें

अंजुम सिद्दीक़ी

वो ग़ुंचा हूँ जो बिन खिले मुरझाए चमन में

अनीसा बेगम

तराना-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ है हर ख़ुशी अपनी

अमजद नजमी

सुब्ह-दम आया तो क्या हंगाम-ए-शाम आया तो क्या

अमजद नजमी

जाएँ कहाँ हम आप का अरमाँ लिए हुए

अमजद नजमी

देख कर हम को असीर-ए-आरज़ू

अमजद नजमी

लहू में रंग लहराने लगे हैं

अमजद इस्लाम अमजद

देख कोह-ए-ना-रसा बन कर भरम रक्खा तिरा

अमीन राहत चुग़ताई

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