हाथ Poetry (page 82)

बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी

अब्दुल हमीद अदम

तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया

अब्दुल हमीद अदम

हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया

अब्दुल हमीद अदम

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

अब्दुल हमीद अदम

अजीब शय है कि सूरत बदलती जाती है

अब्दुल हमीद

ये हाथ राख में ख़्वाबों की डालते तो हो

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

दुआ को हाथ मिरा जब कभी उठा होगा

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

बहार बन के ख़िज़ाँ को न यूँ दिलासा दे

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

मैं बात कौन से पैरा-ए-बयाँ में करूँ

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

ज़र्फ़

अब्दुल अहद साज़

नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म

अब्दुल अहद साज़

दिल-दही

अब्दुल अहद साज़

औज-बिन-उनुक़

अब्दुल अहद साज़

आवाज़ के मोती

अब्दुल अहद साज़

हिसार-ए-दीद में जागा तिलिस्म-ए-बीनाई

अब्दुल अहद साज़

वो हँसती है तो उस के हाथ रोते हैं

अब्बास ताबिश

परों में शाम ढलती है

अब्बास ताबिश

मुझे रस्ता नहीं मिलता

अब्बास ताबिश

ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं

अब्बास ताबिश

ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं

अब्बास ताबिश

तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं

अब्बास ताबिश

सुब्ह की पहली किरन पहली नज़र से पहले

अब्बास ताबिश

पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से

अब्बास ताबिश

कोई टकरा के सुबुक-सर भी तो हो सकता है

अब्बास ताबिश

हम ने चुप रह के जो एक साथ बिताया हुआ है

अब्बास ताबिश

हर-चंद तिरी याद जुनूँ-ख़ेज़ बहुत है

अब्बास ताबिश

एक क़दम तेग़ पे और एक शरर पर रक्खा

अब्बास ताबिश

डूब कर भी न पड़ा फ़र्क़ गिराँ-जानी में

अब्बास ताबिश

गर्दिश-ए-दौराँ से इक लम्हा चुराने लिए

अब्बास दाना

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