हाथ Poetry (page 83)

ज़मीन उन के लिए फूल खिलाती है

अब्बास अतहर

अपने अपने सूराख़ों का डर

अब्बास अतहर

सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा

आज़िम कोहली

ख़याल-ए-यार का जल्वा यहाँ भी था वहाँ भी था

आज़िम कोहली

हो सितम कैसा भी अब हालात की शमशीर का

आज़िम कोहली

आ कि चाहत वस्ल की फिर से बड़ी पुर-ज़ोर है

आज़िम कोहली

क्या है ऊँचाई मोहब्बत की बताते जाओ

अातिश इंदौरी

रहज़नों के हाथ सारा इंतिज़ाम आया तो क्या

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

रहज़नों के हाथ सारा इंतिज़ाम आया तो क्या

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

आसी उल्दनी

क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

आसी उल्दनी

फिर मिज़ाज उस रिंद का क्यूँकर मिले

आसी ग़ाज़ीपुरी

हमें ख़बर थी ज़बाँ खोलते ही क्या होगा

आशुफ़्ता चंगेज़ी

तय-शुदा मौसम

आशुफ़्ता चंगेज़ी

नजात

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आवारा परछाइयाँ

आशुफ़्ता चंगेज़ी

घरौंदे ख़्वाबों के सूरज के साथ रख लेते

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आँखों के बंद बाब लिए भागते रहे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

एक नज़्म

आनिस मुईन

कितने ही पेड़ ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ से उजड़ गए

आनिस मुईन

हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और

आनिस मुईन

इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें

आनिस मुईन

धड़कते साँस लेते रुकते चलते मैं ने देखा है

आलोक श्रीवास्तव

हमारे हाथ में जब कोई जाम आया है

आल-ए-अहमद सूरूर

एक दीवाने को इतना ही शरफ़ क्या कम है

आल-ए-अहमद सूरूर

जुनूँ के हाथ से है इन दिनों गरेबाँ तंग

आग़ा अकबराबादी

पाँव फिर होवेंगे और दश्त-ए-मुग़ीलाँ होगा

आग़ा अकबराबादी

निगाहों में इक़रार सारे हुए हैं

आग़ा अकबराबादी

मुद्दत के बा'द इस ने लिखा मेरे नाम ख़त

आग़ा अकबराबादी

मलते हैं हाथ, हाथ लगेंगे अनार कब

आग़ा अकबराबादी

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