हमें ख़बर थी ज़बाँ खोलते ही क्या होगा
कहाँ कहाँ मगर आँखों पे हाथ रख लेते
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1080) Peoples Rate This
दिल डूबने लगा है तवानाई चाहिए
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ
बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता
तेरी ख़बर मिल जाती थी
न इब्तिदा की ख़बर और न इंतिहा मालूम
रोने को बहुत रोए बहुत आह-ओ-फ़ुग़ाँ की
अक़्द-नामे
सोने से जागने का तअल्लुक़ न था कोई
आँखों के सामने कोई मंज़र नया न था
तुझ को भी क्यूँ याद रखा
नजात