जीवन Poetry (page 5)

आसमान-ए-यास पर खोया सितारा ढूँढना

तनवीर अंजुम

मुझ को दिमाग़-ए-गर्मी-ए-बाज़ार है कहाँ

तालिब चकवाली

न बे-कली का हुनर है न जाँ-फ़ज़ाई का

तालीफ़ हैदर

एक एक क़तरा उस का शो'ला-फ़िशाँ सा है

तख़्त सिंह

हर अदा तुंद और नबात उस की

ताबिश सिद्दीक़ी

सब ग़म कहें जिसे कि तमन्ना कहें जिसे

ताबिश देहलवी

पाबंदी-ए-हुदूद से बेगाना चाहिए

ताबिश देहलवी

अज़ाब टूटे दिलों को हर इक नफ़स गुज़रा

ताबिश देहलवी

बड़े बड़ों के क़दम डगमगा गए 'ताबाँ'

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

दाद भी फ़ित्ना-ए-बेदाद भी क़ातिल की तरफ़

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

हर नज़र इंतिख़ाब हो जाए

सय्यद सिद्दीक़ हसन

मौत के खूँ-ख़्वार पंजों में सिसकती है हयात

सय्यद शकील दस्नवी

अक़ब से वार था आख़िर मैं आह क्या करता

सय्यद शकील दस्नवी

कुछ इस तरह ग़म-ए-उल्फ़त की काएनात लुटी

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

मौत है ज़िंदगी ज़िंदगी मौत है

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

फ़क़त क़याम का मतलब गुज़र-बसर कोई है

सय्यद काशिफ़ रज़ा

शिकवे ज़बाँ पे आ सकें इस का सवाल ही न हो

सय्यद हामिद

थी नज़ारे की घात आँखों में

सय्यद अाग़ा अली महर

वो बे-रुख़ी कि तग़ाफ़ुल की इंतिहा कहिए

सुरूर बाराबंकवी

कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़-ए-यार के

सुरूर बाराबंकवी

चमन में लाला-ओ-गुल पर निखार भी तो नहीं

सुरूर बाराबंकवी

अपनी अना के गुम्बद-ए-बे-दर में बंद है

सूरज तनवीर

मैं दिन को रात के दरिया में जब उतार आया

सूरज नारायण

अपनी ज़मीं से दूर ज़मान-ओ-मकाँ से दूर

सुलतान फ़ारूक़ी

बराए नाम सही दिन के हाथ पीले हैं

सुल्तान अख़्तर

बराए नाम सही दिन के हाथ पीले हैं

सुल्तान अख़्तर

अब तक लहू का ज़ाइक़ा ख़ंजर पे नक़्श है

सुल्तान अख़्तर

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