इलाज Poetry (page 4)

बद-तालई का इलाज क्या हो

इमदाद अली बहर

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है

हस्तीमल हस्ती

क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

फ़ैसला हिज्र का मंज़ूर भी हो सकता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

जब्र-ए-शही का सिर्फ़ बग़ावत इलाज है

हसन नईम

किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए

हमीद जालंधरी

जान ही जाए तो जाए दर्द-ए-दिल

हफ़ीज़ जौनपुरी

कल ज़रूर आओगे लेकिन आज क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

उस रऊनत से वो जीते हैं कि मरना ही नहीं

हबीब जालिब

तज़ाद

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हिकायत-ए-इश्क़ से भी दिल का इलाज मुमकिन नहीं कि अब भी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मता-ए-बर्ग-ओ-समर वही है शबाहत-ए-रंग-ओ-बू वही है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज

ग़ालिब

लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं

ग़ालिब

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

ग़ालिब

मैं ख़ुद ही ख़ूगर-ए-ख़लिश-ए-जुस्तुजू न था

गौहर होशियारपुरी

मौत का भी इलाज हो शायद

फ़िराक़ गोरखपुरी

चमन अपने रंग में मस्त है कोई ग़म-गुसार-ए-दिगर नहीं

फ़िगार उन्नावी

ख़त बहुत उस के पढ़े हैं कभी देखा नहीं है

फ़रहत एहसास

इस दर्द का इलाज अजल के सिवा भी है

फ़ानी बदायुनी

वो जी गया जो इश्क़ में जी से गुज़र गया

फ़ानी बदायुनी

ताकीद है कि दीदा-ए-दिल वा करे कोई

फ़ानी बदायुनी

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मा'लूम

फ़ानी बदायुनी

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा

फ़हमी बदायूनी

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा

फ़हमी बदायूनी

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