मौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
Rahat Indori
Gulzar
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3024) Peoples Rate This
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल
निखरे बदन का मुस्कुराना है है
क़तरे अरक़-ए-जिस्म के मोती की लड़ी
मैं हूँ दिल है तन्हाई है
हर जल्वे से इक दर्स-ए-नुमू लेता हूँ
ज़िंदगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त
हर साज़ से होती नहीं ये धुन पैदा
तू हाथ को जब हाथ में ले लेती है
आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
अफ़्सुर्दा फ़ज़ा पे जैसे छाया हो हिरास
हज़ार बार ज़माना इधर से गुज़रा है