अन्त Poetry (page 6)

इल्म की इब्तिदा है हंगामा

फ़िरदौस गयावी

दोस्तों की अता है ख़ामोशी

फ़िरदौस गयावी

आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

तुझे ख़बर है कि इब्तिदा भी है इंतिहा भी

फ़य्याज़ तहसीन

अब आ गए हो तो रफ़्तगाँ को भी याद रखना

फ़य्याज़ तहसीन

हम इब्तिदा ही में पहुँचे थे इंतिहा को कभी

फ़रियाद आज़र

इसी फ़ुतूर में कर्ब-ओ-बला से लिपटे हुए

फ़रियाद आज़र

है वही एक मेरे सिवा और मैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

बहुत ज़मीन बहुत आसमाँ मिलेंगे तुम्हें

फ़रहत एहसास

तू मिरी इब्तिदा तू मिरी इंतिहा मैं समुंदर हूँ तू साहिलों की हवा

फ़रहान सालिम

न इंतिहा की ख़बर है न इंतिहा मालूम

फ़ानी बदायुनी

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम

फ़ानी बदायुनी

शबाब-ए-होश कि फ़िल-जुमला यादगार हुई

फ़ानी बदायुनी

क़सम न खाओ तग़ाफ़ुल से बाज़ आने की

फ़ानी बदायुनी

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मा'लूम

फ़ानी बदायुनी

मेरे लब पर कोई दुआ ही नहीं

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ मिन्नत-कश-ए-क़रार नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इश्क़ की आज इंतिहा कर दो

फ़ैसल फेहमी

अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई है

फ़ैसल अजमी

मेरी मौत के मसीहा!

एजाज़ अहमद एजाज़

कुछ नहीं खुलता इब्तिदा क्या है

दीद राही

ग़म को वज्ह-ए-हयात कहते हैं

द्वारका दास शोला

देख जुर्म-ओ-सज़ा की बात न कर

द्वारका दास शोला

अपनी बेचारगी पे रो न सके

द्वारका दास शोला

तुझे क्या ख़बर मिरे हम-सफ़र मिरा मरहला कोई और है

दर्शन सिंह

बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर

दर्शन सिंह

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

दाग़ देहलवी

देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई

दाग़ देहलवी

किसी ने बा-वफ़ा समझा किसी ने बेवफ़ा समझा

डी. राज कँवल

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