अन्त Poetry (page 8)

फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था

अनवर शऊर

बशारत हो कि अब मुझ सा कोई पागल न आएगा

अनवर शऊर

ब'अद-अज़-मर्ग

अनवर सेन रॉय

इस इब्तिदा की सलीक़े से इंतिहा करते

अनवर मसूद

हर शय को इंतिहा है यक़ीं है कि वस्ल हो

अनवर देहलवी

बा-वफ़ा हूँ मिरी ख़ता है ये

अंजुम सिद्दीक़ी

एक नज़्म

अनीस नागी

ज़िंदगी

अमजद नजमी

नहीं कुछ इंतिहा अफ़्सुर्दगी की

अमजद नजमी

समुंदर आसमान और मैं

अमजद इस्लाम अमजद

लौटे कुछ इस तरह तिरी जल्वा-सरा से हम

आमिर उस्मानी

अपने हमराह ख़ुद चला करना

अमीर क़ज़लबाश

'अमीक़' छेड़ ग़ज़ल ग़म की इंतिहा कब है

अमीक़ हनफ़ी

वो उम्मीद क्या जिस की हो इंतिहा

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ख़ूबियाँ अपने में गो बे-इंतिहा पाते हैं हम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

अल्लामा इक़बाल

इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा

अल्लामा इक़बाल

ज़ौक़ ओ शौक़

अल्लामा इक़बाल

तुलू-ए-इस्लाम

अल्लामा इक़बाल

हज़रात-ए-इंसाँ

अल्लामा इक़बाल

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

अल्लामा इक़बाल

ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है

अल्लामा इक़बाल

ढूँड रहा है फ़रंग ऐश-ए-जहाँ का दवाम

अल्लामा इक़बाल

अदा-ए-इश्क़ हूँ पूरी अना के साथ हूँ मैं

अली ज़रयून

क़त्ल-ए-आफ़्ताब

अली सरदार जाफ़री

न राज़-ए-इब्तिदा समझो न राज़-ए-इंतिहा समझो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

तिरी आश्नाई से तेरी रज़ा तक

अख़लाक़ अहमद आहन

काफ़िर था मैं ख़ुदा का न मुंकिर दुआ का था

अकबर हमीदी

अक़्ल में जो घिर गया ला-इंतिहा क्यूँकर हुआ

अकबर इलाहाबादी

ग़म सभी दिल से रुख़्सत हुए

अजमल सिराज

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