चलो Poetry (page 2)

आप को भूल के मैं याद-ए-ख़ुदा करता हूँ

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

पलकों पे रुका क़तरा-ए-मुज़्तर की तरह हूँ

यासीन अफ़ज़ाल

क़यामत है शब-ए-वादा का इतना मुख़्तसर होना

यगाना चंगेज़ी

रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में

वज़ीर अली सबा लखनवी

फ़िक्र-ए-रंज-ओ-राहत कैसी

वज़ीर अली सबा लखनवी

आप अपनी बेवफ़ाई देखिए

वज़ीर अली सबा लखनवी

ज़र्रा हरीफ़-ए-मेहर दरख़्शाँ है आज कल

वासिफ़ देहलवी

वो जल्वा तूर पर जो दिखाया न जा सका

वासिफ़ देहलवी

कभी दर्द-आश्ना तेरा भी क़ल्ब शादमाँ होगा

वासिफ़ देहलवी

जान नहीं पहचान नहीं है

वक़ार मानवी

ग़म-ए-मोहब्बत है कार-फ़रमा दुआ से पहले असर से पहले

वक़ार बिजनोरी

चश्म-ए-यक़ीं से देखिए जल्वा-गह-ए-सिफ़ात में

वक़ार बिजनोरी

मय-ए-गुल-गूँ के जो शीशे में परी रहती है

वलीउल्लाह मुहिब

मग़्ज़-ए-बहार इस बरस उस बिन बचा न था

वली उज़लत

आँख में जल्वा तिरा दिल में तिरी याद रहे

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

लबरेज़-ए-हक़ीक़त गो अफ़साना-ए-मूसा है

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

क्या है कि आज चलते हो कतरा के राह से

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

आँख में जल्वा तिरा दिल में तिरी याद रहे

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

हुस्न की ज़बान से

वहीदुद्दीन सलीम

मावरा

वहीद अख़्तर

कुछ लोग दिल की आड़ में रू-पोश हो गए

विश्मा ख़ान विश्मा

आख़िर वो इज़्तिराब के दिन भी गुज़र गए

वारिस किरमानी

हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'

उनवान चिश्ती

इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है

उनवान चिश्ती

हम हैं बस इतने ही साहिल-आश्ना

उम्मीद फ़ाज़ली

ऐ दिल-ए-ख़ुद-ना-शनास ऐसा भी क्या

उम्मीद फ़ाज़ली

बसंत और होली की बहार

उफ़ुक़ लखनवी

छब्बीस जनवरी

तिलोकचंद महरूम

नज़र उठा दिल-ए-नादाँ ये जुस्तुजू क्या है

तिलोकचंद महरूम

किसी की याद को हम ज़ीस्त का हासिल समझते हैं

तिलोकचंद महरूम

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