जिन्न Poetry (page 4)

दश्त-ए-जुनूँ में आ गईं आँखें जो उन की याद

वज़ीर अली सबा लखनवी

वाइ'ज़ के मैं ज़रूर डराने से डर गया

वज़ीर अली सबा लखनवी

रंग है ऐ साक़ी-ए-सरशार क़ैसर-बाग़ में

वज़ीर अली सबा लखनवी

महशर का हमें क्या ग़म इस्याँ किसे कहते हैं

वज़ीर अली सबा लखनवी

जो अदू-ए-बाग़ हो बरबाद हो

वज़ीर अली सबा लखनवी

दिल-ए-पुर दाग़ बाग़ किस का है

वज़ीर अली सबा लखनवी

देख कर ख़ुश-रंग उस गुल-पैरहन के हाथ पाँव

वज़ीर अली सबा लखनवी

दाग़-ए-जुनूँ दिमाग़-ए-परेशाँ में रह गया

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सनम सब हैं तिरे हाथों से नालाँ आज-कल

वज़ीर अली सबा लखनवी

ऐ सबा जज़्ब पे जिस दम दिल-ए-नाशाद आया

वज़ीर अली सबा लखनवी

इज़्ज़त उन्हें मिली वही आख़िर बड़े रहे

वासिफ़ देहलवी

बुझते हुए चराग़ फ़रोज़ाँ करेंगे हम

वासिफ़ देहलवी

मौत आई मुझे कूचे में तिरे जाने से

वसीम ख़ैराबादी

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

वसीम ख़ैराबादी

लहू लहू सा दिल-ए-दाग़-दार ले के चले

वाक़िफ़ राय बरेलवी

वो निगाह मिल के निगाह से ब-अदा-ए-ख़ास झिझक गई

वक़ार बिजनोरी

मुझे उस जुनूँ की है जुस्तुजू जो चमन को बख़्श दे रंग ओ बू

वामिक़ जौनपुरी

सफ़र-ए-ना-तमाम

वामिक़ जौनपुरी

ज़हराब पीने वाले अमर हो के रह गए

वामिक़ जौनपुरी

तुझ से मिल कर दिल में रह जाती है अरमानों की बात

वामिक़ जौनपुरी

क़िर्तास पे नक़्शे हमें क्या क्या नज़र आए

वामिक़ जौनपुरी

मिरे फ़िक्र ओ फ़न को नई फ़ज़ा नए बाल-ओ-पर की तलाश है

वामिक़ जौनपुरी

कहीं साक़ी का फ़ैज़-ए-आम भी है

वामिक़ जौनपुरी

हालात से फ़रार की क्या जुस्तुजू करें

वामिक़ जौनपुरी

बर्क़ सर-ए-शाख़-सार देखिए कब तक रहे

वामिक़ जौनपुरी

तुम जानते हो किस लिए वो मुझ से गया लड़

वलीउल्लाह मुहिब

मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल

वलीउल्लाह मुहिब

बुलबुल वो गुल है ख़्वाब में तू गा के मत जगा

वलीउल्लाह मुहिब

ऐ दिल आता है चमन में वो शराबी तू पहुँच

वलीउल्लाह मुहिब

ख़ुनुक-जोशी न करते जूँ सबा गर ये बुताँ हम से

वली उज़लत

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