जवानी Poetry (page 10)

पुर-लुत्फ़ सुकूँ-बख़्श हवाएँ भी बहुत थीं

डॉक्टर आज़म

सात दरियाओं का पानी है मिरे कूज़े में

दिलावर अली आज़र

कूचा-गर्दी में जवानी जाएगी

दिल शाहजहाँपुरी

कूचा-गर्दी में जवानी जाएगी

दिल शाहजहाँपुरी

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

इक अदा मस्ताना सर से पाँव तक छाई हुई

दाग़ देहलवी

खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से

दाग़ देहलवी

देख कर जौबन तिरा किस किस को हैरानी हुई

दाग़ देहलवी

बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है

चरख़ चिन्योटी

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे

चरख़ चिन्योटी

बात कहने के लिए बात बनाई न गई

चरख़ चिन्योटी

बात कहने के लिए बात बनाई न गई

चरख़ चिन्योटी

महँगाई में हर इक शय के दाम हुए हैं दूने

चमन लाल चमन

हल्की हल्की बूँदें बरसीं पंछी करें कलोल

चमन लाल चमन

मज़ा है अहद-ए-जवानी में सर पटकने का

चकबस्त ब्रिज नारायण

अदब ता'लीम का जौहर है ज़ेवर है जवानी का

चकबस्त ब्रिज नारायण

नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं

चकबस्त ब्रिज नारायण

ख़ुशियाँ थीं बेवफ़ा न रहीं ज़िंदगी के साथ

बबल्स होरा सबा

जब ख़िज़ाँ आई चमन में सब दग़ा देने लगे

बूम मेरठी

इस क़दर बढ़ गई वहशत तिरे दीवाने की

बूम मेरठी

कौन समझे इश्क़ की दुश्वारियाँ

बिस्मिल सईदी

प्यार है वो

बिमल कृष्ण अश्क

क़यामत है तिरी उठती जवानी

बेख़ुद देहलवी

वो देखते जाते हैं कनखियों से इधर भी

बेख़ुद देहलवी

ऐसा बना दिया तुझे क़ुदरत ख़ुदा की है

बेख़ुद देहलवी

तिरे इश्क़ में ज़िंदगानी लुटा दी

बहज़ाद लखनवी

लब पे है फ़रियाद अश्कों की रवानी हो चुकी

बहज़ाद लखनवी

फ़रियाद है अब लब पर जब अश्क-फ़िशानी थी

बहज़ाद लखनवी

क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है

बेदम शाह वारसी

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