जवानी Poetry (page 11)

बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना था

बेदम शाह वारसी

जिगर-गुदाज़ मआ'नी समझ सको तो कहूँ

बेबाक भोजपुरी

पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है

बशीर बद्र

नद्दी के उस पार खड़ा इक पेड़ अकेला

बाक़ी सिद्दीक़ी

शोर-ए-दरिया है कहानी मेरी

बाक़र नक़वी

खेत से बच कर गुज़रे बस्ती को वीरानी दे

बाक़र नक़वी

धरती का बोझ

बाक़र मेहदी

इक हूक सी जब दिल में उट्ठी जज़्बात हमारे आ पहुँचे

बीएस जैन जौहर

चुपके से गुज़रते हैं ख़बर भी नहीं होती

अज़लान शाह

हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं

अज़लान शाह

मैं अपने गिर्द लकीरें बिछाए बैठा हूँ

अज़ीज़ नबील

हाए क्या चीज़ थी जवानी भी

अज़ीज़ लखनवी

हिज्र की रात याद आती है

अज़ीज़ लखनवी

अपनी बीती हुई रंगीन जवानी देगा

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

सच बोलना चाहें भी तो बोला नहीं जाता

अज़हर नैयर

क्यूँ जवानी की मुझे याद आई

असरार-उल-हक़ मजाज़

उन का जश्न-ए-साल-गिरह

असरार-उल-हक़ मजाज़

नूरा

असरार-उल-हक़ मजाज़

नज़्र-ए-अलीगढ़

असरार-उल-हक़ मजाज़

मादाम

असरार-उल-हक़ मजाज़

ए'तिराफ़

असरार-उल-हक़ मजाज़

एक जिला-वतन की वापसी

असरार-उल-हक़ मजाज़

आवारा

असरार-उल-हक़ मजाज़

ये तीरगी-ए-शब ही कुछ सुब्ह-तराज़ आती

असरार-उल-हक़ मजाज़

परतव-ए-साग़र-ए-सहबा क्या था

असरार-उल-हक़ मजाज़

न हम-आहंग-ए-मसीहा न हरीफ़-ए-जिब्रील

असरार-उल-हक़ मजाज़

दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी

असरार-उल-हक़ मजाज़

आसमाँ तक जो नाला पहुँचा है

असरार-उल-हक़ मजाज़

ओझल हुई नज़र से बे-बाल-ओ-पर गई है

अासिफ़ साक़िब

अपने दिल में आग लगानी पड़ती है

अशफ़ाक़ रशीद मंसूरी

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