हाए क्या चीज़ थी जवानी भी
अब तो दिन रात याद आती है
Habib Jalib
Anwar Masood
Rahat Indori
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Gulzar
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(692) Peoples Rate This
काम दुनिया में बहुत करना है
ये मशवरा बहम उठ्ठे हैं चारा-जू करते
कुछ हिसाब ऐ सितम ईजाद तो कर
वो निगाहें क्या कहूँ क्यूँ कर रग-ए-जाँ हो गईं
कभी जन्नत कभी दोज़ख़ कभी का'बा कभी दैर
क़फ़स में जी नहीं लगता है आह फिर भी मिरा
जो यहाँ महव-ए-मा-सिवा न हुआ
शीशा-ए-दिल को यूँ न उठाओ
बताओ ऐसे मरीज़ों का है इलाज कोई
तुम्हें हँसते हुए देखा है जब से
सामने आइना था मस्ती थी
ज़बान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती