जवानी Poetry (page 7)

बदन से रूह हम-आग़ोश होने वाली थी

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ठहरे पानी को वही रेत पुरानी दे दे

हसन रिज़वी

तिफ़्ली पीरी ओ नौजवानी हेच

हक़ीर

उन के आने पे दिल फ़िदा होगा

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

न वो वलवले हैं दिल में न वो आलम-ए-जवानी

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

फ़ज़ाओं में कुछ ऐसी खलबली थी

हनीफ़ फ़ौक़

कल शाम लब-ए-बाम जो वो जल्वा-नुमा था

हमीद जालंधरी

शब-ए-फ़ुर्क़त में यार-ए-जानी की

हैदर अली आतिश

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

हैदर अली आतिश

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा

हैदर अली आतिश

परी थी कोई छलावा थी या जवानी थी

हफ़ीज़ जौनपुरी

जब मिला कोई हसीं जान पर आफ़त आई

हफ़ीज़ जौनपुरी

यूँ तो हसीन अक्सर होते हैं शान वाले

हफ़ीज़ जौनपुरी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

साथ रहते इतनी मुद्दत हो गई

हफ़ीज़ जौनपुरी

कहा ये किस ने कि वादे का ए'तिबार न था

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुनाता है क्या हैरत-अंगेज़ क़िस्से

हफ़ीज़ जालंधरी

उठो अब देर होती है वहाँ चल कर सँवर जाना

हफ़ीज़ जालंधरी

रंग बदला यार ने वो प्यार की बातें गईं

हफ़ीज़ जालंधरी

आज की रात

हफ़ीज़ होशियारपुरी

अब वो पीरी में कहाँ अहद-ए-जवानी की उमंग

हादी मछलीशहरी

दर्द सा उठ के न रह जाए कहीं दिल के क़रीब

हादी मछलीशहरी

और सब भूल गए हर्फ़-ए-सदाक़त लिखना

हबीब जालिब

और सब भूल गए हर्फ़ सदाक़त लिखना

हबीब जालिब

है नौ-जवानी में ज़ोफ़-ए-पीरी बदन में रअशा कमर में ख़म है

हबीब मूसवी

है आठ पहर तू जल्वा-नुमा तिमसाल-ए-नज़र है परतव-ए-रुख़

हबीब मूसवी

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