नाव Poetry (page 11)

चाँद मेरे घर में उतरा था कहीं डूबा न था

आरिफ़ अब्दुल मतीन

बजा कि कश्ती है पारा पारा थपेड़े तूफ़ाँ के खा रहा हूँ

आरिफ़ अब्दुल मतीन

कल वालों के लिए

अनवर सेन रॉय

नहीं नाम-ओ-निशाँ साए का लेकिन यार बैठे हैं

अंजुम रूमानी

हम सा दीवाना कहाँ मिल पाएगा इस दहर में

अंजुम लुधियानवी

रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं

अनीस अशफ़ाक़

पेच-ओ-ताब

अमजद नजमी

नहीं कुछ इंतिहा अफ़्सुर्दगी की

अमजद नजमी

तारा तारा उतर रही है रात समुंदर में

अमजद इस्लाम अमजद

क़िस्मत अपनी ऐसी कच्ची निकली है

अमित शर्मा मीत

खींच लाया तुझे एहसास-ए-तहफ़्फ़ुज़ मुझ तक

अमीता परसुराम 'मीता'

क़िबला-ए-दिल काबा-ए-जाँ और है

अमीर मीनाई

अब क़बीले की रिवायत है बिखरने वाली

अम्बर बहराईची

नशात-ए-उमीद

अल्ताफ़ हुसैन हाली

बुरी और भली सब गुज़र जाएगी

अल्ताफ़ हुसैन हाली

जो भी सूखे गुल किताबों में मिले अच्छे लगे

आलोक यादव

लगे जब सुबह की कश्ती किनारे शब

अलमास शबी

ग़फ़लत में सोया अब तिलक फिर होवेगा होश्यार कब

अलीमुल्लाह

कहा था मैं ने क्या तू ने सुना क्या

अली वजदान

तीन शराबी

अली सरदार जाफ़री

साल-ए-नौ

अली सरदार जाफ़री

ए'तिबार

अली साहिल

तेरे हल्के से तबस्सुम का इशारा भी तो हो

अली जव्वाद ज़ैदी

जुनूँ से राह-ए-ख़िरद में भी काम लेना था

अली जव्वाद ज़ैदी

आज जलती हुई हर शम्अ बुझा दी जाए

अली अहमद जलीली

असीर-ए-दश्त-ए-बला का न माजरा कहना

आलमताब तिश्ना

कोई इल्ज़ाम मेरे नाम मेरे सर नहीं आया

अकरम नक़्क़ाश

काविश

अख़्तर-उल-ईमान

फ़ासला

अख़्तर-उल-ईमान

कहाँ जाएँ छोड़ के हम उसे कोई और उस के सिवा भी है

अख़तर मुस्लिमी

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