ए'तिबार

तुम्हारे दुख इक काग़ज़ पर लिख कर

उस की एक कश्ती बनाई जा सकती है

और इस कश्ती पर

आने वाली दो चार सदियों का सफ़र किया जा सकता है

तुम्हें याद ही होगा

आज से कुछ सदियाँ पहले

जब दरबार में बैठे हुए

तुम ने अपनी उँगलियाँ काट लीं थीं

मैं ने अपने भाइयों पर ए'तिबार किया था

ए'तिबार तो ख़ैर मैं अब भी कर लेता हूँ

उन तमाम लड़कियों पर

जो मेरी मुँह-बोली महबूबाएँ हैं

लेकिन मैं जानता हूँ

मुँह बोली महबूबाओं के दुख

सौतेले भाइयों की तरह होते हैं

जिन पर इंहिसार नहीं किया जा सकता

(763) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Etibar In Hindi By Famous Poet Ali Sahil . Etibar is written by Ali Sahil . Complete Poem Etibar in Hindi by Ali Sahil . Download free Etibar Poem for Youth in PDF. Etibar is a Poem on Inspiration for young students. Share Etibar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.