खार Poetry (page 8)

ये फ़क़त शोरिश-ए-हवा तो नहीं

रईस अमरोहवी

दिल की बर्बादी के आसार अभी बाक़ी हैं

राही शहाबी

न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक

इरफ़ान अहमद मीर

न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक

इरफ़ान अहमद मीर

पैग़ाम-ए-रिहाई दिया हर चंद क़ज़ा ने

इक़बाल सुहैल

कहाँ ताक़त ये रूसी को कहाँ हिम्मत ये जर्मन को

इक़बाल सुहैल

नज़र नज़र में तमन्ना क़दम क़दम पे गुरेज़

इक़बाल माहिर

मिरी ख़ाक उस ने बिखेर दी सर-ए-रह ग़ुबार बना दिया

इक़बाल कौसर

या वस्ल में रखिए मुझे या अपनी हवस में

इंशा अल्लाह ख़ान

मिल मुझ से ऐ परी तुझे क़ुरआन की क़सम

इंशा अल्लाह ख़ान

होते होंगे इस दुनिया में अर्श के दा'वेदार बुलंद

इनाम हनफ़ी

मौसम-ए-गुल है तिरे सुर्ख़ दहन की हद तक

इमरान-उल-हक़ चौहान

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

शोर है उस सब्ज़ा-ए-रुख़्सार का

इमदाद अली बहर

सैर उस सब्ज़ा-ए-आरिज़ की है दुश्वार बहुत

इमदाद अली बहर

ख़ुर्शीद-रुख़ों का सामना है

इमदाद अली बहर

ख़ुदा-परस्त हुए हम न बुत-परस्त हुए

इमदाद अली बहर

कभी देखें जो रू-ए-यार दरख़्त

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

हम-ज़ाद है ग़म अपना शादाँ किसे कहते हैं

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

आबला ख़ार-ए-सर-ए-मिज़्गाँ ने फोड़ा साँप का

इमदाद अली बहर

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

है मोहब्बत सब को उस के अबरू-ए-ख़मदार की

इमाम बख़्श नासिख़

शत्तुल-अरब

इलियास बाबर आवान

न दे जो दिल ही दुहाई तो कोई बात नहीं

इफ़तिख़ार अहमद फख्र

कल हम ने सपना देखा है

इब्न-ए-इंशा

लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुए

इब्न-ए-इंशा

दिल किस के तसव्वुर में जाने रातों को परेशाँ होता है

इब्न-ए-इंशा

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