धूल Poetry (page 38)

आख़िर-ए-कार चले तीर की रफ़्तार क़दम

हैदर अली आतिश

उन को दिल दे के पशेमानी है

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

मिरे ऐबों की इस्लाहें हुआ कीं बहस-ए-दुश्मन से

हफ़ीज़ जौनपुरी

लिख दे आमिल कोई ऐसा ता'वीज़

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-ब-ख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़ुद-बख़ुद आँख बदल कर ये सवाल अच्छा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

ख़राब-ओ-ख़स्ता हुए ख़ाक में शबाब मिला

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिया जब जाम-ए-मय साक़ी ने भर के

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल इस लिए है दोस्त कि दिल में है जा-ए-दोस्त

हफ़ीज़ जौनपुरी

अजब ज़माने की गर्दिशें हैं ख़ुदा ही बस याद आ रहा है

हफ़ीज़ जौनपुरी

अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुपुर्द-ए-ख़ाक ही करना था मुझ को

हफ़ीज़ जालंधरी

मेरी शाएरी

हफ़ीज़ जालंधरी

इरशाद की याद में

हफ़ीज़ जालंधरी

'इक़बाल' के मज़ार पर

हफ़ीज़ जालंधरी

अब ख़ूब हँसेगा दीवाना

हफ़ीज़ जालंधरी

आख़िरी रात

हफ़ीज़ जालंधरी

उभरे जो ख़ाक से वो तह-ए-ख़ाक हो गए

हफ़ीज़ जालंधरी

फिर लुत्फ़-ए-ख़लिश देने लगी याद किसी की

हफ़ीज़ जालंधरी

मस्तों पे उँगलियाँ न उठाओ बहार में

हफ़ीज़ जालंधरी

कभी ज़मीं पे कभी आसमाँ पे छाए जा

हफ़ीज़ जालंधरी

जहाँ क़तरे को तरसाया गया हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

इक बार फिर वतन में गया जा के आ गया

हफ़ीज़ जालंधरी

चले थे हम कि सैर-ए-गुलशन-ए-ईजाद करते हैं

हफ़ीज़ जालंधरी

अब तो कुछ और भी अंधेरा है

हफ़ीज़ जालंधरी

हर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गई

हफ़ीज़ होशियारपुरी

गर उस का सिलसिला भी उम्र-ए-जावेदाँ से मिले

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मैं क्या हूँ कौन हूँ ये भी ख़बर नहीं मुझ को

हादी मछलीशहरी

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