सपना Poetry (page 107)

चाँदनी रात में हर दर्द सँवर जाता है

अब्दुल्लाह जावेद

चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया

अब्दुल्लाह जावेद

तुझ क़द की अदा सर्व-ए-गुलिस्ताँ सीं कहूँगा

अब्दुल वहाब यकरू

अगर वो गुल-बदन दरिया नहाने बे-हिजाब आवे

अब्दुल वहाब यकरू

महक रहा है तसव्वुर में ख़्वाब की सूरत

अब्दुल वहाब सुख़न

ऐ मेरी आँखो ये बे-सूद जुस्तुजू कैसी

अब्दुल वहाब सुख़न

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

इंतिशार-ओ-ख़ौफ़ हर इक सर में है

अब्दुल मतीन नियाज़

हम-नफ़स ख़्वाब-ए-जुनूँ की कोई ता'बीर न देख

अब्दुल मतीन नियाज़

हर वरक़ इक किताब हो जाए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर आन नई शान है हर लम्हा नया है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

आँख का ए'तिबार क्या करते

अब्दुल हमीद अदम

उन को अहद-ए-शबाब में देखा

अब्दुल हमीद अदम

फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा

अब्दुल हमीद अदम

दुआ को हाथ मिरा जब कभी उठा होगा

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

क़ुर्ब नस नस में आग भरता है

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

क्या कहीं मिलता है क्या ख़्वाबों में

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

ग़ुंचे का जवाब हो गया है

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

'सादेम'

अब्दुल अहद साज़

हर इक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता धड़कता है

अब्दुल अहद साज़

घुल सी गई रूह में उदासी

अब्दुल अहद साज़

बातिन से सदफ़ के दुर-ए-नायाब खुलेंगे

अब्दुल अहद साज़

वक़्त लफ़्ज़ों से बनाई हुई चादर जैसा

अब्बास ताबिश

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

अब्बास ताबिश

न ख़्वाब ही से जगाया न इंतिज़ार किया

अब्बास ताबिश

उसे मैं ने नहीं देखा

अब्बास ताबिश

ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है

अब्बास ताबिश

उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया

अब्बास ताबिश

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

अब्बास ताबिश

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