कोनों Poetry (page 5)

सर-गुज़िश्त-ए-आदम

अल्लामा इक़बाल

नाला-ए-फ़िराक़

अल्लामा इक़बाल

मिरी गली के मकीं ये मिरे रफ़ीक़-ए-सफ़र

अख़्तर होशियारपुरी

ज़मीन पर ही रहे आसमाँ के होते हुए

अख़्तर होशियारपुरी

उफ़ुक़ उफ़ुक़ नए सूरज निकलते रहते हैं

अख़्तर होशियारपुरी

तूफ़ान-ए-अब्र-ओ-बाद से हर-सू नमी भी है

अख़्तर होशियारपुरी

बजा कि दुश्मन-ए-जाँ शहर-ए-जाँ के बाहर है

अख़्तर होशियारपुरी

मैं किसी और ही आलम का मकीं हूँ प्यारे

अकबर मासूम

ख़ुद से निकलूँ भी तो रस्ता नहीं आसान मिरा

अकबर मासूम

मदरसा अलीगढ़

अकबर इलाहाबादी

वो हवा न रही वो चमन न रहा वो गली न रही वो हसीं न रहे

अकबर इलाहाबादी

ख़ुदा अलीगढ़ की मदरसे को तमाम अमराज़ से शिफ़ा दे

अकबर इलाहाबादी

हर इक ये कहता है अब कार-ए-दीं तो कुछ भी नहीं

अकबर इलाहाबादी

मुझ से मुख़्लिस था न वाक़िफ़ मिरे जज़्बात से था

ऐतबार साजिद

बंदे ज़मीन और आसमाँ सरमा की शब कहानियाँ

ऐतबार साजिद

मैं मकीं हूँ न मकाँ शहर-ए-मोहब्बत का 'ज़फ़र'

अहमद ज़फ़र

यूँ ज़माने में मिरा जिस्म बिखर जाएगा

अहमद ज़फ़र

तख़्लीक़ ख़ुद किया था कल अपने में एक घर

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

आसमाँ-ज़ाद ज़मीनों पे कहीं नाचते हैं

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

जिस की साँसों से महकते थे दर-ओ-बाम तिरे

अहमद मुश्ताक़

मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है

अहमद मुश्ताक़

ग़ुरूर-ए-जाँ को मिरे यार बेच देते हैं

अहमद फ़राज़

कोई गुमाँ हूँ कोई यक़ीं हूँ कि मैं नहीं हूँ

अहमद अता

जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की

आग़ा हज्जू शरफ़

नौजवानी में अजब दिल की लगी होती है

अफ़ज़ल पेशावरी

गुज़रते लम्हों का मातम

आफ़ताब शम्सी

कारवाँ इश्क़ की मंज़िल के क़रीं आ पहूँचा

अबु मोहम्मद वासिल

हम कि इक भेस लिए फिरते हैं

अबरार अहमद

वो सो रहा है ख़ुदा दूर आसमानों में

अब्दुर्रहीम नश्तर

मेरे घर से उस की यादों के मकीं जाते नहीं

अब्दुल मन्नान समदी

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