मौज Poetry (page 5)

मैं दयार-ए-क़ातिलाँ का एक तन्हा अजनबी

तालिब जोहरी

एक आवाज़

तख़्त सिंह

मह-ओ-अंजुम ने क़बा की तो तुम्हारे लिए की

तहसीन फ़िराक़ी

सितम-ज़रीफ़ी की सूरत निकल ही आती है

तफ़ज़ील अहमद

लहरों में भँवर निकलेंगे मेहवर न मिलेगा

तफ़ज़ील अहमद

यूँ नक़ाब-ए-रुख़ मुक़ाबिल से उठी

ताबिश देहलवी

शरह-ए-जाँ-सोज़-ए-ग़म-ए-अर्ज़-ए-वफ़ा क्या करते

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

रहगुज़र हो या मुसाफ़िर नींद जिस को आए है

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

मंज़िलों उस को आवाज़ देते रहे मंज़िलों जिस की कोई ख़बर भी न थी

ताब असलम

यूँ तो वो दर्द-आश्ना भी हैं

सय्यद नवाब हैदर नक़वी

रिवाज-ओ-रस्म का उस को हुनर भी आता है

सय्यद मुनीर

कैफ़ियत ही कैफ़ियत में हम कहाँ तक आ गए

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

जश्न बरबाद ख़यालों का मना लूँ तो चलूँ

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

कराची का ट्रैफ़िक

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

वो सैर-ए-गुल के वास्ते आ ही नहीं रहा

सय्यद काशिफ़ रज़ा

उस पर निगाह फिरती रही और दूर दूर

सय्यद काशिफ़ रज़ा

ज़िंदा हुआ है आज तू मरने के ब'अद भी

सय्यद अारिफ़

जो माल उस ने समेटा था वो भी सारा गया

सय्यद अनवार अहमद

दरख़्शाँ हो जो वो मह-ज़ादा-ए-शब

सय्यद अमीन अशरफ़

उतर के धूप जब आएगी शब के ज़ीने से

सय्यद अहमद शमीम

जागते में रात मुझ को ख़्वाब दिखलाया गया

सय्यद अहमद शमीम

ये क्या तिलिस्म है दुनिया पे बार गुज़री है

सय्यद आबिद अली आबिद

ये अर्ज़-ए-शौक़ है आराइश-ए-बयाँ भी तो हो

सय्यद आबिद अली आबिद

सब के जल्वे नज़र से गुज़रे हैं

सय्यद आबिद अली आबिद

रेत की तरह किनारों पे हैं डरने वाले

सय्यद आबिद अली आबिद

किसी की इश्वा-गरी से ब-ग़ैर-ए-फ़स्ल-ए-बहार

सय्यद आबिद अली आबिद

दिल का मोआ'मला निगह-ए-आशना के साथ

सय्यद आबिद अली आबिद

चमन वालों को रक़्साँ-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ ले के उट्ठी है

सुरूर बाराबंकवी

सदियों का दर्द मेरे कलेजे में पाल कर

सूरज नारायण

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