मतलब Poetry (page 8)

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं

दाग़ देहलवी

उन के इक जाँ-निसार हम भी हैं

दाग़ देहलवी

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

दाग़ देहलवी

सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना

दाग़ देहलवी

शब-ए-वस्ल भी लब पे आए गए हैं

दाग़ देहलवी

पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह

दाग़ देहलवी

ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए

दाग़ देहलवी

मोहब्बत में आराम सब चाहते हैं

दाग़ देहलवी

हुआ जब सामना उस ख़ूब-रू से

दाग़ देहलवी

आरज़ू है वफ़ा करे कोई

दाग़ देहलवी

दिलकशी नाम को भी आलम-ए-इम्काँ में नहीं

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

कैसी कैसी नहीं करता रहा मन-मानी मैं

भवेश दिलशाद

हमें पीने से मतलब है जगह की क़ैद क्या 'बेख़ुद'

बेख़ुद देहलवी

रात भर गर्दिश थी उन के पासबानों की तरह

बेख़ुद देहलवी

न अरमाँ बन के आते हैं न हसरत बन के आते हैं

बेख़ुद देहलवी

लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़

बेख़ुद देहलवी

हश्र पर वा'दा-ए-दीदार है किस का तेरा

बेखुद बदायुनी

दिल लगा लेते हैं अहल-ए-दिल वतन कोई भी हो

बासिर सुल्तान काज़मी

दिल लगा लेते हैं अहल-ए-दिल वतन कोई भी हो

बासिर सुल्तान काज़मी

वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

कहते हैं अर्ज़-ए-वस्ल पर वो कहो

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

पूछते हैं वो इश्क़ का मतलब

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

कौन कहता है नसीम-ए-सहरी आती है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

हम हथेली पे जान रखते हैं

बशीर महताब

शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या

बशीर बद्र

टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के चार पाँच

ज़फ़र

दिल कुश्ता-ए-नज़र है महरूम-ए-गुफ़्तुगू हूँ

अज़ीज़ लखनवी

नाज़नीनान-ए-जहाँ शोबदा-गर पक्के हैं

अज़ीज़ हैदराबादी

ज़रा सी देर में वो जाने क्या से क्या कर दे

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

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