महताब Poetry (page 3)

जुदा हो कर वो हम से है जुदा क्या

शायर लखनवी

कौन दरवाज़ा खुला रखता बराए इंतिज़ार

सीमाब ज़फ़र

यूँ देख मिरे दीदा-ए-पुर-आब की गर्दिश

मोहम्मद रफ़ी सौदा

हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का

मोहम्मद रफ़ी सौदा

इतनी सियाह-रात में इतनी सी रौशनी

सऊद उस्मानी

दिल में रक्खे हुए आँखों में बसाए हुए शख़्स

सऊद उस्मानी

आँखों में एक ख़्वाब पस-ए-ख़्वाब और है

सऊद उस्मानी

मुंहदिम होती हुई आबादियों में फ़ुर्सत-ए-यक-ख़्वाब होते

सरवत हुसैन

हम-ज़ाद

साक़ी फ़ारुक़ी

उम्र इंकार की दीवार से सर फोड़ती है

साक़ी फ़ारुक़ी

वो आरज़ू कि दिलों को उदास छोड़ गई

समद अंसारी

तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा

सलीम कौसर

याद कहाँ रखनी है तेरा ख़्वाब कहाँ रखना है

सलीम कौसर

वो जो आए थे बहुत मंसब-ओ-जागीर के साथ

सलीम कौसर

तिलिस्म-ख़ाना-ए-अस्बाब मेरे सामने था

सलीम कौसर

ऐ मिरे घर की फ़ज़ाओं से गुरेज़ाँ महताब

सलाम मछली शहरी

फूलों के देस चाँद सितारों के शहर में

सलाम मछली शहरी

इन ग़ज़ालान-ए-तरह-दार को कैसे छोड़ूँ

सलाम मछली शहरी

हवा की चितवन जैसे नैन

सलाहुद्दीन महमूद

मी-यौमिल-हिसाब

साजिदा ज़ैदी

कलियाँ नीला आसमान ज़ंजीर

साजिदा ज़ैदी

शगुफ़्त-ए-गुंचा-ए-महताब कौन देखेगा

सैफ़ुद्दीन सैफ़

यादों की गूँज ज़ेहन से बाहर निकालिए

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

26/जानवरी

साहिर लुधियानवी

ख़्वाब देखूँ कोई महताब लब-ए-बाम उतरे

सहबा वहीद

सवाल-ए-सुब्ह-ए-चमन ज़ुल्मत-ए-ख़िज़ाँ से उठा

सहबा अख़्तर

तेरी नज़र का रंग बहारों ने ले लिया

साग़र सिद्दीक़ी

रश्क-ए-महताब जहाँ-ताब था हर क़र्या-ए-जाँ

सादिक़ नसीम

अपनी आँखों से तो दरिया भी सराब-आसा मिले

सादिक़ नसीम

गुल ओ महताब लिखना चाहता हूँ

साबिर वसीम

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