महताब Poetry (page 8)

पलकों तक आ के अश्क का सैलाब रह गया

अंजुम ख़लीक़

रू-ए-गुल चेहरा-ए-महताब नहीं देखते हैं

अनीस अशफ़ाक़

कब इश्क़ में यारों की पज़ीराई हुई है

अनीस अशफ़ाक़

देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तो

अंदलीब शादानी

दश्त-ए-बे-आब की तरह गुज़री

अमजद इस्लाम अमजद

आँखों से इक ख़्वाब गुज़रने वाला है

अमजद इस्लाम अमजद

रक़ीब-ए-जाँ नज़र का नूर हो जाए तो क्या कीजे

अमीता परसुराम 'मीता'

कौन है ये मतला-ए-तख़ईल पर महताब सा

अमीक़ हनफ़ी

हिजाब-ए-अब्र रुख़-ए-महताब से छलका

अम्बर वसीम इलाहाबादी

शब ख़्वाब के जज़ीरों में हँस कर गुज़र गई

अम्बर बहराईची

आज फिर धूप की शिद्दत ने बड़ा काम किया

अम्बर बहराईची

वालिदा मरहूमा की याद में

अल्लामा इक़बाल

गोरिस्तान-ए-शाही

अल्लामा इक़बाल

ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी

अल्लामा इक़बाल

तुम नहीं आए थे जब

अली सरदार जाफ़री

सर-ए-तूर

अली सरदार जाफ़री

इक तुर्फ़ा तमाशा सर-ए-बाज़ार बनेगा

अली मुतहर अशअर

मैं जिधर जाऊँ मिरा ख़्वाब नज़र आता है

आलम ख़ुर्शीद

जाना तो बहुत दूर है महताब से आगे

आलम ख़ुर्शीद

आँख खुलने पे भी होता हूँ उसी ख़्वाब में गुम

अकरम महमूद

यादें

अख़्तर-उल-ईमान

नए सुर की तमसील

अख़्तर उस्मान

ओ देस से आने वाले बता

अख़्तर शीरानी

एक शाएरा की शादी पर

अख़्तर शीरानी

एक हुस्न-फ़रोश से

अख़्तर शीरानी

बरखा-रुत

अख़्तर शीरानी

ऐ इश्क़ कहीं ले चल

अख़्तर शीरानी

समुंदर सब के सब पायाब से हैं

अख़तर शाहजहाँपुरी

तिरी जबीं पे मिरी सुब्ह का सितारा है

अख़्तर सईद ख़ान

देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का

अख्तर लख़नवी

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