प्यार Poetry (page 4)

अगर तुम मोहब्बत हो

ज़ीशान साहिल

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ज़ीशान साहिल

कोई क़ुसूर नहीं मेरी ख़ुश-गुमानी का

ज़ीशान साहिल

ग़ुबार दिल से निकाला नज़र को साफ़ किया

ज़ीशान साहिल

कब तक वो मोहब्बत को निभाता नज़र आता

ज़ीशान साजिद

वो और मोहब्बत से मुझे देख रहा हो

ज़ेब ग़ौरी

है बहुत ताक़ वो बेदाद में डर है ये भी

ज़ेब ग़ौरी

पयाम

ज़े ख़े शीन

आबला-पाई है महरूमी है रुस्वाई है

ज़रीना सानी

वहशत में हर इक नक़्शा उल्टा नज़र आता है

ज़रीफ़ लखनवी

करेंगे सब ये दा'वा नक़्द-ए-दिल जो हार बैठे हैं

ज़रीफ़ लखनवी

मैकनिक शाएर

ज़रीफ़ जबलपूरी

फ़िल्मी इश्क़

ज़रीफ़ जबलपूरी

मैं रतजगों के मुकम्मल अज़ाब देखूँगा

ज़मान कंजाही

सभी को ख़्वाहिश-ए-तस्ख़ीर-ए-शौक़-ए-हुक्मरानी है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

क्या बताएँ ग़म-ए-फ़ुर्क़त में कहाँ से गुज़रे

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ख़्वाब-नगर के शहज़ादे ने ऐसे भी निरवान लिया

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ख़ाक सहराओं की पलकों पे सजा ली हम ने

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

कभी अज़ाबों में बस रही है कभी ये ख़्वाबों में कट रही है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

इस बज़्म-ए-तसव्वुर में बस यार की बातें हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

हसीं यादें सुनहरे ख़्वाब पीछे छोड़ आए हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

हैं गर्दिशें भी रवाँ बख़्त के सितारे में

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

तिरी जवान उमंगों को हो गया है क्या

ज़की काकोरवी

ऐ दिल तिरी आहों में इतना तो असर आए

ज़की काकोरवी

आप पर जब से तबीअत आई

ज़की काकोरवी

हरे मौसम खिलेंगे सोना बन के ख़ाक बदलेगी

ज़काउद्दीन शायाँ

ये मोहब्बत है इसे देख तमाशा न बना

ज़करिय़ा शाज़

आख़िर ये नाकाम मोहब्बत काम आई

ज़करिय़ा शाज़

ये अलग बात कि चलते रहे सब से आगे

ज़करिय़ा शाज़

धूप सरों पर और दामन में साया है

ज़करिय़ा शाज़

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