ये मोहब्बत है इसे देख तमाशा न बना
मुझ से मिलना है तो मिल हद्द-ए-अदब से आगे
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छोड़ आया हूँ पीछे सब आवाज़ों को
हम तुझ से कोई बात भी करने के नहीं थे
दुख न सहने की सज़ाओं में घिरा रहता है
किस क़यामत की घुटन तारी है
उस का ख़याल दिल में घड़ी दो घड़ी रहे
तअल्लुक़ ही नहीं है जिन से मेरा
क्या नज़ारा था मेरी आँखों में
देखो घिर कर बादल आ भी सकता है
खोया हुआ था हासिल होने वाला हूँ
ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हमें रंज बहुत है