किस क़यामत की घुटन तारी है
रूह पर कब से बदन तारी है
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ये अलग बात कि चलते रहे सब से आगे
दुख न सहने की सज़ाओं में घिरा रहता है
मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है
मैं चुप रहा तो आँख से आँसू उबल पड़े
खिड़की तो 'शाज़' बंद मैं करता हूँ बार बार
जब भी घर के अंदर देखने लगता हूँ
कहाँ दिन रात में रक्खा हुआ हूँ
संग किसी के चलते जाएँ ध्यान किसी का रक्खें
ऐ गर्दिश-ए-अय्याम हमें रंज बहुत है
ये मोहब्बत है इसे देख तमाशा न बना
ये जो बिफरे हुए धारे लिए फिरता हूँ मैं