नाम Poetry (page 49)

हर साल बहार से पहले मैं पानी पर फूल बनाता हूँ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बग़ैर उस के अब आराम भी नहीं आता

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

दुआ और बद-दुआ के दरमियाँ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ये जहाँ-नवर्द की दास्ताँ ये फ़साना डोलते साए का

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

फिर वो दरिया है किनारों से छलकने वाला

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

फिर तो इस बे-नाम सफ़र में कुछ भी न अपने पास रहा

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कुछ बे-तरतीब सितारों को पलकों ने किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

ख़ामोश थे तुम और बोलता था बस एक सितारा आँखों में

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

जज़्बों को किया ज़ंजीर तो क्या तारों को किया तस्ख़ीर तो क्या

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हम ने तो बे-शुमार बहाने बनाए हैं

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

हर एक पल की उदासी को जानता है तो आ

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बयाबाँ दूर तक मैं ने सजाया था

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

बग़ैर उस के अब आराम भी नहीं आता

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कौन जाने था उस का नाम-ओ-नुमूद

ग़ुलाम मौला क़लक़

वही वा'दा है वही आरज़ू वही अपनी उम्र-ए-तमाम है

ग़ुलाम मौला क़लक़

उन से कहा कि सिद्क़-ए-मोहब्बत मगर दरोग़

ग़ुलाम मौला क़लक़

तेरे दर पर मक़ाम रखते हैं

ग़ुलाम मौला क़लक़

नक़्श-बर-आब नाम है सैल-ए-फ़ना मक़ाम

ग़ुलाम मौला क़लक़

हर अदावत की इब्तिदा है इश्क़

ग़ुलाम मौला क़लक़

दोस्ती उस की दुश्मनी ही सही

ग़ुलाम मौला क़लक़

नहीं अब रोक पाएगी फ़सील-ए-शहर पानी को

ग़ुलाम हुसैन साजिद

लरज़ जाता है थोड़ी देर को तार-ए-नफ़स मेरा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

किसी को ज़हर दूँगा और किसी को जाम दूँगा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

चराग़-ए-ख़ाना-ए-दिल को सुपुर्द-ए-बाद कर दूँ

ग़ुलाम हुसैन साजिद

ज़ीस्त का ख़ाली कटोरा आप ही भर जाएगा

ग़ुलाम हुसैन अयाज़

न सुब्ह वुसअ'त न शाम वुसअ'त

ग़ुफ़रान अमजद

तिरा मय-ख़्वार ख़ुश-आग़ाज़-ओ-ख़ुश-अंजाम है साक़ी

ग़ुबार भट्टी

अजब इंक़लाब का दौर है कि हर एक सम्त फ़िशार है

ग़ुबार भट्टी

आँधी में भी चराग़ मगन है सबा के साथ

ग़ौसिया ख़ान सबीन

दिल की नय्या दो नैनों के मोह में डूबी जाए

ग़ौस सीवानी

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