नाम Poetry (page 3)

जाने हम ये किन गलियों में ख़ाक उड़ा कर आ जाते हैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

दिन ऐसे यूँ तो आए ही कब थे जो रास थे

ज़ुहूर नज़र

दूसरा आदमी

ज़ुबैर रिज़वी

तमाम रास्ता फूलों भरा तुम्हारा था

ज़ुबैर रिज़वी

मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना

ज़ुबैर रिज़वी

कोई चेहरा न सदा कोई न पैकर होगा

ज़ुबैर रिज़वी

कहाँ मैं जाऊँ ग़म-ए-इश्क़-ए-राएगाँ ले कर

ज़ुबैर रिज़वी

हवा की अंधी पनाहों में मत उछाल मुझे

ज़ुबैर रिज़वी

हमारी गर्दिश-ए-पा रास्तों के काम आई

ज़ुबैर रिज़वी

तिरी तस्वीर उठाई हुई है

ज़ुबैर क़ैसर

फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे

ज़िया मज़कूर

बे-सबब उस के नाम की मैं ने

ज़िया मज़कूर

तिरे ग़याब को मौजूद में बदलते हुए

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

सुकूत से भी सुख़न को निकाल लाता हुआ

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

रिफ़ाक़त की ये ख़्वाहिश कह रही है

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

दिनों में दिन थे शबों में शबें पड़ी हुई थीं

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

आईने के आख़िरी इज़हार में

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

कूचा-ए-यार में मैं ने जो जबीं-साई की

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

जब तक कि मोहब्बत का चलन आम रहेगा

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

जाँ का दुश्मन है मगर जान से प्यारा भी है

ज़िया ज़मीर

दर्द की धूप ढले ग़म के ज़माने जाएँ

ज़िया ज़मीर

बड़े सलीक़े से तोड़ा मिरा यक़ीन उस ने

ज़िया ज़मीर

चाक

ज़िया जालंधरी

आज ही महफ़िल सर्द पड़ी है आज ही दर्द फ़रावाँ है

ज़िया जालंधरी

इश्क़ ने कर दिया क्या क्या सुख़न-आरा तिरे नाम

ज़िया फ़ारूक़ी

इस शहर को रास आई हम जैसों की गुम-नामी

ज़ेहरा निगाह

देखो तो लगता है जैसे देखा था

ज़ेहरा निगाह

क़िस्सा गुल-बादशाह का

ज़ेहरा निगाह

कहानी गुल-ज़मीना की

ज़ेहरा निगाह

एक तिलिस्मी खेल

ज़ेहरा निगाह

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.