नाम Poetry (page 4)

डाकू

ज़ेहरा निगाह

आँगन

ज़ेहरा निगाह

रुक जा हुजूम-ए-गुल कि अभी हौसला नहीं

ज़ेहरा निगाह

रिश्ते से मुहाफ़िज़ का ख़तरा जो निकल जाता

ज़ेहरा निगाह

क़ुर्बतों से कब तलक अपने को बहलाएँगे हम

ज़ेहरा निगाह

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं

ज़ेहरा निगाह

गर्दिश-ए-मीना-ओ-जाम देखिए कब तक रहे

ज़ेहरा निगाह

बरसों हुए तुम कहीं नहीं हो

ज़ेहरा निगाह

बैठे बैठे कैसा दिल घबरा जाता है

ज़ेहरा निगाह

ज़ैतून का दरख़्त

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

ख़त

ज़ीशान साहिल

जंग के दिनों में

ज़ीशान साहिल

हवा

ज़ीशान साहिल

हमें कहा जाएगा

ज़ीशान साहिल

कोई क़ुसूर नहीं मेरी ख़ुश-गुमानी का

ज़ीशान साहिल

काम इतने हैं कि आराम नहीं जानते हैं

ज़ीशान साजिद

ये डूबती हुई क्या शय है तेरी आँखों में

ज़ेब ग़ौरी

उजड़ी हुई बस्ती की सुब्ह ओ शाम ही क्या

ज़ेब ग़ौरी

मैं छू सकूँ तुझे मेरा ख़याल-ए-ख़ाम है क्या

ज़ेब ग़ौरी

लगाऊँ हाथ तुझे ये ख़याल-ए-ख़ाम है क्या

ज़ेब ग़ौरी

और गुलों का काम नहीं होता कोई

ज़ेब ग़ौरी

आबला-पाई है महरूमी है रुस्वाई है

ज़रीना सानी

महशरिस्तान-ए-जुनूँ में दिल-ए-नाकाम आया

ज़रीफ़ लखनवी

न आँसुओं में कभी था न दिल की आह में है

ज़मीर काज़मी

दुनिया की सल्तनत में ख़ुदा के ख़िलाफ़ हैं

ज़मीर काज़मी

ग़रीबी नाम है जिस का अज़ाब-ए-जान होती है

ज़मीर अतरौलवी

ज़िंदगानी की हक़ीक़त तब ही खुलती है मियाँ

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

हाइल दिलों की राह में कुछ तो अना भी है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

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