नाम Poetry (page 6)

भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद

ज़फ़र इक़बाल

यूँ भी होता है कि यक दम कोई अच्छा लग जाए

ज़फ़र इक़बाल

यकसू भी लग रहा हूँ बिखरने के बावजूद

ज़फ़र इक़बाल

न उस को भूल पाए हैं न हम ने याद रक्खा है

ज़फ़र इक़बाल

न कोई बात कहनी है न कोई काम करना है

ज़फ़र इक़बाल

न घाट है कोई अपना न घर हमारा हुआ

ज़फ़र इक़बाल

ख़ामुशी अच्छी नहीं इंकार होना चाहिए

ज़फ़र इक़बाल

जो बंदा-ए-ख़ुदा था ख़ुदा होने वाला है

ज़फ़र इक़बाल

दरिया-ए-तुंद-मौज को सहरा बताइए

ज़फ़र इक़बाल

अभी किसी के न मेरे कहे से गुज़रेगा

ज़फ़र इक़बाल

ज़मीं फिर दर्द का ये साएबाँ कोई नहीं देगा

ज़फ़र गोरखपुरी

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

पल पल जीने की ख़्वाहिश में कर्ब-ए-शाम-ओ-सहर माँगा

ज़फ़र गोरखपुरी

तिरे क़रीब रहूँ या कि मैं सफ़र में रहूँ

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

ग़म इतने अपने दामन-ए-दिल से लिपट गए

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

हर सम्त शोर-ए-बंदा ओ साहिब है शहर में

ज़फ़र अज्मी

मैं हूँ तेरे लिए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा

यूसुफ़ ज़फ़र

पटरियों की चमकती हुई धार पर फ़ासले अपनी गर्दन कटाते रहे

यूसुफ़ तक़ी

लग़्ज़िशें तन्हाइयों की सब बता दी जाएँगी

युसूफ़ जमाल

सिमटे रहे तो दर्द की तन्हाइयाँ मिलीं

यूसुफ़ आज़मी

क्या सर-ए-तहरीर है और क्या पस-ए-तहरीर देख

यूनुस ग़ाज़ी

ख़ून-ए-तमन्ना रंग लाया हो ऐसा भी हो सकता है

यूनुस ग़ाज़ी

बताऊँ मैं तुम्हें आँखों में आँसू या लहू क्या है

यूनुस ग़ाज़ी

ज़िंदा रहने का वो अफ़्सून-ए-अजब याद नहीं

यज़दानी जालंधरी

जहाँ कुछ लोग दीवाने बने हैं

यज़दानी जालंधरी

मुझे आगही का निशाँ समझ के मिटाओ मत

यासमीन हामिद

मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही

यासमीन हमीद

ये कमरा और ये गर्द-ओ-ग़ुबार उस का है

यासमीन हबीब

वक़्त बस रेंगता है उम्र के साथ

यासमीन हबीब

अपना पता मुझे बता बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

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