नाम Poetry (page 8)

तेरी याद

वसीम बरेलवी

ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है

वसीम बरेलवी

यही बज़्म-ए-ऐश होगी यही दौर-ए-जाम होगा

वसीम बरेलवी

सिर्फ़ तेरा नाम ले कर रह गया

वसीम बरेलवी

शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं

वसीम बरेलवी

मुझे तो क़तरा ही होना बहुत सताता है

वसीम बरेलवी

दुआ करो कि कोई प्यास नज़्र-ए-जाम न हो

वसीम बरेलवी

आते आते मिरा नाम सा रह गया

वसीम बरेलवी

कोई सूरत नहीं मगर उस का

वसीम अकरम

इक अधूरी सी शाम बाक़ी है

वसीम अकरम

लबों पे शिकवा-ए-अय्याम भी नहीं होता

वक़ार सहर

इस बहाने के बा'द कैसा इश्क़

वक़ार सहर

ख़ता क़ुबूल नहीं है तो ख़ुद ख़ता कर देख

वक़ार ख़ान

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं

वक़ार हिल्म सय्यद नगलवी

एक इशारे में बदल जाता है मयख़ाने का नाम

वक़ार बिजनोरी

चश्म-ए-यक़ीं से देखिए जल्वा-गह-ए-सिफ़ात में

वक़ार बिजनोरी

तेरी क़िस्मत ही में ज़ाहिद मय नहीं

वामिक़ जौनपुरी

बदलती रहती हैं क़द्रें रहील-ए-वक़्त के साथ

वामिक़ जौनपुरी

अलिफ़ लैला

वामिक़ जौनपुरी

शमएँ रौशन हैं आबगीनों में

वामिक़ जौनपुरी

कहीं साक़ी का फ़ैज़-ए-आम भी है

वामिक़ जौनपुरी

हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा

वामिक़ जौनपुरी

दिल अज़ल से मरकज़-ए-आलाम है

वामिक़ जौनपुरी

बर्क़ सर-ए-शाख़-सार देखिए कब तक रहे

वामिक़ जौनपुरी

कल तलक जो था तसव्वुर अंजुमन-आराइयों का

वलीउल्लाह वली

कभी जब दास्तान-ए-गर्दिश-ए-अय्याम लिखता हूँ

वलीउल्लाह वली

ख़याल दिल को है उस गुल से आश्नाई का

वलीउल्लाह सरहिंदी इशतियाक़

रहीम ओ राम की सुमरन है शैख़ ओ हिन्दू को

वलीउल्लाह मुहिब

काफ़िर हूँ गर मैं नाम भी का'बे का लूँ कभी

वलीउल्लाह मुहिब

उधर वो बे-मुरव्वत बेवफ़ा बे-रहम क़ातिल है

वलीउल्लाह मुहिब

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