नाम Poetry (page 7)

आप को भूल के मैं याद-ए-ख़ुदा करता हूँ

यासीन अली ख़ाँ मरकज़

करम नहीं तो सितम ही सही रवा रखना

यासीन क़ुदरत

मिरी दुआओं की सब नग़्मगी तमाम हुई

याक़ूब यावर

मज़ाक़-ए-काविश-ए-पिन्हाँ अब इतना आम क्या होगा

याक़ूब उस्मानी

मुसाफ़िरों के ये वहम-ओ-गुमाँ में था ही नहीं

याक़ूब तसव्वुर

दिलों में दर्द ही उतना कशीद रक्खा है

याक़ूब तसव्वुर

कोई बे-नाम ख़लिश उकसाए

याक़ूब राही

न पूछो ज़ीस्त-फ़साना तमाम होने तक

याक़ूब आमिर

चंद घंटे शोर ओ ग़ुल की ज़िंदगी चारों तरफ़

याक़ूब आमिर

क़िस्सा-ख़्वानी

यामीन

मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शर्माना नहीं आता

यगाना चंगेज़ी

यकसाँ कभी किसी की न गुज़री ज़माने में

यगाना चंगेज़ी

मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शरमाना नहीं आता

यगाना चंगेज़ी

दिल-ए-पुर दाग़ बाग़ किस का है

वज़ीर अली सबा लखनवी

दिए बुझे तो हवा को किया गया बदनाम

वज़ीर आग़ा

टीन का डिब्बा

वज़ीर आग़ा

वो दिन गए कि छुप के सर-ए-बाम आएँगे

वज़ीर आग़ा

थी नींद मेरी मगर उस में ख़्वाब उस का था

वज़ीर आग़ा

सफ़ेद फूल मिले शाख़-ए-सीम-बर के मुझे

वज़ीर आग़ा

कभी दर्द-आश्ना तेरा भी क़ल्ब शादमाँ होगा

वासिफ़ देहलवी

बयाँ ऐ हम-नशीं ग़म की हिकायत और हो जाती

वासिफ़ देहलवी

तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से

वसी शाह

समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

वसी शाह

उस की तस्वीर क्या लगी हुई है

वसीम ताशिफ़

सो जाऊँ पर कैसे सोया जा सकता है

वसीम ताशिफ़

ये जल जाते हैं लब तक आह भी आने नहीं देते

वसीम मीनाई

जाने क्यूँ भाई का भाई खुल के दुश्मन हो गया

वसीम मीनाई

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

वसीम ख़ैराबादी

जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है बरसों से

वसीम बरेलवी

आते आते मिरा नाम सा रह गया

वसीम बरेलवी

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