मुझे दिल की ख़ता पर 'यास' शर्माना नहीं आता
पराया जुर्म अपने नाम लिखवाना नहीं आता
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Gulzar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1109) Peoples Rate This
उदासी छा गई चेहरे पे शम-ए-महफ़िल के
आ रही है ये सदा कान में वीरानों से
दुनिया के साथ दीन की बेगार अल-अमाँ
दीवाना-वार दौड़ के कोई लिपट न जाए
क्यूँ किसी से वफ़ा करे कोई
मुझे ऐ नाख़ुदा आख़िर किसी को मुँह दिखाना है
फ़र्दा को दूर ही से हमारा सलाम है
ख़ुदी का नश्शा चढ़ा आप में रहा न गया
वाइज़ को मुनासिब नहीं रिंदों से तने
चारा नहीं कोई जलते रहने के सिवा
हाँ ऐ दिल-ए-ईज़ा-तलब आराम न ले
ख़ुदा जाने अजल को पहले किस पर रहम आएगा