दीवाना-वार दौड़ के कोई लिपट न जाए
आँखों में आँखें डाल के देखा न कीजिए
Gulzar
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Wasi Shah
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(744) Peoples Rate This
आँख दिखलाने लगा है वो फ़ुसूँ-साज़ मुझे
उम्मीद-ओ-बीम ने मारा मुझे दो-राहे पर
वल्लाह ये ज़िंदगी भी है क़ाबिल-ए-दीद
'यगाना' वही फ़ातेह-ए-लखनऊ हैं
न संग-ए-मील न नक़्श-ए-क़दम न बाँग-ए-जरस
मुसीबत का पहाड़ आख़िर किसी दिन कट ही जाएगा
चले चलो जहाँ ले जाए वलवला दिल का
उदासी छा गई चेहरे पे शम-ए-महफ़िल के
ख़ुदा जाने अजल को पहले किस पर रहम आएगा
मुफ़लिसी में मिज़ाज शाहाना
साक़ी मैं देखता हूँ ज़मीं आसमाँ का फ़र्क़
यूसुफ़ को उस अंजुमन में क्या ढूँढता है