नज़र Poetry (page 70)

कर्ब वहशत उलझनें और इतनी तन्हाई कि बस

हमदुन उसमानी

काम आसाँ है मगर देखिए दुश्वार भी है

हमदम कशमीरी

एक क़तरा न कहीं ख़ूँ का बहा मेरे बअ'द

हमदम कशमीरी

ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए

हकीम नासिर

अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ

हकीम मंज़ूर

मिरे वजूद की दुनिया में है असर किस का

हकीम मंज़ूर

ख़ुशबुओं की दश्त से हमसायगी तड़पाएगी

हकीम मंज़ूर

अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ

हकीम मंज़ूर

आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा

हकीम मंज़ूर

'हैरत' के दिल पे वार किया हाए क्या किया

हैरत गोंडवी

आईना देखता हूँ नज़र आ रहे हो तुम

हैरत गोंडवी

इर्तिकाब-ए-जुर्म शर की बात है

हैदर अली जाफ़री

कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा

हैदर अली आतिश

तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला

हैदर अली आतिश

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

हैदर अली आतिश

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

हैदर अली आतिश

जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हैदर अली आतिश

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

हैदर अली आतिश

ग़ैरत-ए-महर रश्क-ए-माह हो तुम

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

ऐ जुनूँ होते हैं सहरा पर उतारे शहर से

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

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