नींद Poetry (page 16)

मनाज़िर ख़ूब-सूरत हैं

फ़ातिमा हसन

एक नज़्म माँ के लिए

फ़ातिमा हसन

सबब थी फ़ितरत-ए-इंसाँ ख़राब मौसम का

फ़रियाद आज़र

दिल की ये आग बुझा दी किस ने

फ़र्रुख़ जाफ़री

दुनिया क्या है बर्फ़ की इक अलमारी है

फ़ारूक़ शफ़क़

सितारे बोती रहीं नींद से तही आँखें

फ़ारूक़ नाज़की

वही में हूँ वही ख़ाली मकाँ है

फ़ारूक़ नाज़की

वही मैं हूँ वही ख़ाली मकाँ है

फ़ारूक़ नाज़की

तोहमत-ए-सैर-ए-चमन हम पे लगी क्या न हुआ

फ़ारूक़ नाज़की

हिसार-ए-जिस्म से आगे निकल गया होता

फ़ारूक़ नाज़की

वो बहकी निगाहें क्या कहिए वो महकी जवानी क्या कहिए

फ़रहत कानपुरी

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

ना-रसाई

फ़रहत एहसास

दुनिया को कहाँ तक जाना है

फ़रहत एहसास

सब लज़्ज़तें विसाल की बेकार करते हो

फ़रहत एहसास

मुसलसल अश्क-बारी हो रही है

फ़रहत एहसास

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं

फ़रहत एहसास

इस तरह आता हूँ बाज़ारों के बीच

फ़रहत एहसास

हम न प्यासे हैं न पानी के लिए आए हैं

फ़रहत एहसास

हमें जब अपना तआरुफ़ कराना पड़ता है

फ़रहत एहसास

हमें जब अपना तआरुफ़ कराना पड़ता है

फ़रहत एहसास

इक हवा सा मिरे सीने से मिरा यार गया

फ़रहत एहसास

दिनी हैं सब कोई राती नहीं है

फ़रहत एहसास

देखते ही देखते खोने से पहले देखते

फ़रहत एहसास

अजीब तजरबा आँखों को होने वाला था

फ़रहत एहसास

ख़याल आतिशीं ख़्वाबीदा सूरतें दी हैं

फ़रहत अब्बास

जब तिरी ज़ात को फैला हुआ दरिया समझूँ

फ़रहत अब्बास

क्या हो गया कैसी रुत पलटी मिरा चैन गया मिरी नींद गई

फ़रीद जावेद

ग़ुबार दिल पे बहुत आ गया है धो लें आज

फ़रीद जावेद

ज़रा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए

फ़रह इक़बाल

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