नूर Poetry (page 3)

उम्र की इस नाव का चलना भी क्या रुकना भी क्या

वज़ीर आग़ा

तुम्हें ख़बर भी न मिली और हम शिकस्ता-हाल

वज़ीर आग़ा

फूल अपने वस्फ़ सुनते हैं उस ख़ुश-नसीब से

वसीम ख़ैराबादी

क्या हुआ उस ने जो आशिक़ से जफ़ाकारी की

वसीम ख़ैराबादी

ग़म-ए-मोहब्बत है कार-फ़रमा दुआ से पहले असर से पहले

वक़ार बिजनोरी

दीं से पैदा कुफ़्र है और नूर शक्ल-ए-नार है

वलीउल्लाह मुहिब

दुनिया में क्या किसी से सरोकार है हमें

वलीउल्लाह मुहिब

तुझ से बोसा मैं न माँगा कभू डरते डरते

वली उज़लत

हर ज़र्रा उस की चश्म में लबरेज़-ए-नूर है

वली मोहम्मद वली

ऐ नूर-ए-जान-ओ-दीदा तिरे इंतिज़ार में

वली मोहम्मद वली

अब नींद कहाँ आँखों में शोला सा भरा है

वकील अख़्तर

मोहब्बत के तआ'क़ुब में थकन से चूर होने तक

वजीह सानी

ना-मुरादी ही लिखी थी सो वो पूरी हो गई

वजद चुगताई

हुस्न की ज़बान से

वहीदुद्दीन सलीम

आरियों की पहली आमद हिन्दोस्तान में

वहीदुद्दीन सलीम

किरनों से तराशा हुआ इक नूर का पैकर

वहीद अख़्तर

तवाना ख़ूबसूरत जिस्म

वहीद अख़्तर

मावरा

वहीद अख़्तर

खंडर आसेब और फूल

वहीद अख़्तर

दीमक

वहीद अख़्तर

सहराओं में दरिया भी सफ़र भूल गया है

वहीद अख़्तर

रात भर ख़्वाब के दरिया में सवेरा देखा

वहीद अख़्तर

तुम ने हमारा साथ दिया तो ख़ुद को हम पा जाएँगे

विश्वनाथ दर्द

हैं किस लिए उदास कोई पूछता नहीं

विश्वनाथ दर्द

शहर बेज़ार रहगुज़र तन्हा

विजय शर्मा अर्श

ऐ सबा निकहत-ए-गेसू-ए-मुअंबर लाना

वारिस किरमानी

नई सहर है ये लोगो नया सवेरा है

वफ़ा मलिकपुरी

एक आश्ना अक्सर पास से गुज़रता है

उषा भदोरिया

वो मुस्कुरा के मोहब्बत से जब भी मिलते हैं

उनवान चिश्ती

शहर से एक तरफ़ दूर बहुत

तिलोकचंद महरूम

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